हरियाणा के चुनावों में भी संघ ना होता तो पलट जाती बाजी
HNN News शैलेश सैनी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे संघ ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि भाजपा “अहम् ब्रह्मास्मि” हो ही नहीं सकती।
अच्छी बात तो यह है कि जहां लोकसभा चुनाव में भाजपा को यह दंभ हो गया था कि वह अकेले ही अब सभी मैदान फतेह कर सकती है मगर पूरे देश भर में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजन कर रहा था।
हिंदुत्व की रीड माने जाने वाले संघ की नाराजगी का परिणाम उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा देखने को मिला था। समय रहते संघ से दूर किए अपने मतभेदों के चलते जो परिणाम महाराष्ट्र में निकाल कर आया है उससे भाजपा खुद भी हैरान है।
बड़ी बात तो यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की करीब 35 ऐसी सहयोगी भुजाएं हैं जिनका महाराष्ट्र चुनाव में भरपूर सहयोग मिला।
इस बात की पुष्टि लोकसभा चुनाव में इसलिए भी होती है कि राज्य की 48 सीटों में से केवल 17 पर ही भाजपा काबिज हो पाई थी।
जगत प्रकाश नड्डा एक सुलझे हुए रणनीतिकार हैं लिहाजा समय रहते जो डैमेज कंट्रोल किया गया है उसका परिणाम उम्मीद से भी ऊपर आया है।
अब यदि बात की जाए हाल ही में हुए हरियाणा के विधानसभा चुनावों की तो यहां भी कांग्रेस की जबरदस्त लहर थी।
शुरुआती प्रचार में संघ ने भी दूरी बनाई हुई थी। भाजपा खुद भी समझ चुकी थी कि संघ के बगैर नैया पार लगा मुश्किल है। लिहाजा योगी आदित्यनाथ सहित संघ के तमाम सहयोगियों के द्वारा हिंदुत्व का जबरदस्त कार्ड खेलते हुए हरियाणा में भी भगवा फहराया था।
यहां भी ओबीसी वर्ग को साधते हुए जाटों की जगह सैनी समाज को फ्रंटलाइन पर प्रोजेक्ट किया।
एक बात तो तय है कि हिंदुत्व का कार्ड भविष्य में न केवल भाजपा के लिए बल्कि देश के लिए भी इसलिए घातक साबित होगा क्योंकि अभी तक भाजपा जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नहीं करवा पाई है।
अल्पसंख्यक वर्ग अब अल्पसंख्यक नहीं रह गया है ऐसे में बाटेंगे तो कटेंगे के नारे ने भी अपना पूरा कमाल दिखाया।
ओबीसी वर्ग के साथ महिलाएं और फिर एक बार फिर ब्राह्मण मुख्यमंत्री की प्रोजेक्शन भाजपा के एजेंट को लाइनअप कर रही थी।
शिवसेना को भी मानना पड़ेगा की उसका काडर वोट कार्ड हिंदुत्व ही है क्योंकि कांग्रेस के साथ रहकर न केवल शिवसेना अलग-अलग भागों में बट कर रह गई है बल्कि इस चुनाव में तो उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे भारी पड़े हैं।
शिवसेना शिंदे गुट ने 12. 45 फ़ीसदी वोट हासिल किए हैं जबकि संघ व अन्य के सहयोग से भाजपा 26 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल किए हैं।
कुल मिलाकर कहां जाए तो भाजपा ने जहां उत्तर प्रदेश में अहम् ब्रह्मास्मि का दावा कर दिया था मगर अब उन्हें एक बार फिर से अपने हिंदुत्व कार्ड को सेफ करने के लिए संघ सहित तमाम हिंदू दलों को अपने साथ जोड़कर रखना होगा।
केंद्र में भाजपा बिहार के रहने कारण पर है और बिहार के बिहारी बाबू कब पलट जाए कह नहीं सकते मगर इतना तो तय है कि भाजपा के लिए भी आने वाला समय चुनौतियों से भरा हुआ है। भाजपा के लिए संघ को हास्य पर रखना न केवल उनके लिए घातक साबित होगा बल्कि यदि संघ कहीं राजनीतिक मंच पर उतर जाता है तो निश्चित ही यह भाजपा के लिए बड़ा घातक साबित होगा।
कहा जा सकता है कि भाजपा के लिए संघ ही एक सबसे बड़ा संरक्षण है।