HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, मेघालय और महाराष्ट्र में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि हर 1000 में से 22 शिशु जन्म से पहले ही मृत्यु के मुंह में जा रहे हैं। यह अध्ययन डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के विशेषज्ञों और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के साथ मिलकर किया गया है।
अध्ययन में पाया गया कि शिशुओं की मृत्यु के मुख्य कारणों में आयरन और फॉलिक एसिड की कमी, गर्भस्थ शिशु का विकास न होना, गर्भावस्था के दौरान गंभीर एनीमिया, उच्च रक्तचाप संबंधी विकार और समय से पहले जन्म शामिल हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त प्रसव पूर्व जांच और आयरन, फॉलिक एसिड की अनुपूरक नहीं मिलने से भी शिशुओं की मृत्यु दर बढ़ जाती है।
डॉ. अशोक वर्मा, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा ने कहा कि इस अध्ययन से पता चलता है कि अगर आवश्यक एहतियात बरते जाएं तो शिशुओं की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आगे भी इस संबंध में अध्ययन किए जाएंगे ताकि शिशुओं की मृत्यु दर को और भी कम किया जा सके।