संयुक्त राष्ट्र में ‘विश्व ध्यान दिवस’ की घोषणा
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया, जिसमें भारत सहित अन्य देशों की प्रमुख भूमिका रही। भारत, लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको, और अंडोरा उन देशों में शामिल थे जिन्होंने इस प्रस्ताव के पारित होने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भारत का नेतृत्व और समग्र मानव कल्याण
भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने इस अवसर पर ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने इसे कल्याण और आंतरिक परिवर्तन का दिन बताया। हरीश ने कहा, “भारत ने कोर समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।” उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम भारत के सभ्यतागत सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित है, जो समग्र मानव कल्याण और वैश्विक नेतृत्व के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
21 दिसंबर: शीतकालीन संक्रांति और ध्यान का शुभ समय
हरीश ने बताया कि 21 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय परंपरा में उत्तरायण की शुरुआत होती है। यह दिन आंतरिक चिंतन और ध्यान के लिए एक विशेष समय माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के ठीक छह महीने बाद आता है, जो 21 जून को मनाया जाता है।
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भारत की भूमिका: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से प्रेरणा
हरीश ने कहा कि भारत ने 2014 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत में अग्रणी भूमिका निभाई थी। यह दिन ग्रहण संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है, और अब एक दशक में यह एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है, जिसके कारण दुनिया भर में लोग योग का अभ्यास करने लगे हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का वैश्विक संदेश
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि विश्व ध्यान दिवस पर प्रस्ताव को अपनाने में भारत की भूमिका ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के अनुरूप है, जो समग्र मानव कल्याण के लिए एक वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है। यह सिद्धांत दुनिया के सभी लोगों को एक परिवार के रूप में देखने की बात करता है।
प्रस्ताव के सह-प्रायोजक देशों की सूची
लिकटेंस्टीन द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव को बांग्लादेश, बुल्गारिया, बुरुंडी, डोमिनिकन गणराज्य, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल, और स्लोवेनिया ने भी सह-प्रायोजित किया था, जो इस वैश्विक पहल को और मजबूत बनाता है।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानव कल्याण और आंतरिक शांति की दिशा में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। भारत की पहल और नेतृत्व ने इसे एक वैश्विक आंदोलन में बदलने में मदद की है, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने किया था। इस कदम से ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।
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