लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

नहीं रहे ताशी नामग्याल, कारगिल युद्ध और देश का सच्चा नायक, भारतीय सेना को दी थी एक ऐसी खुफिया जानकारी…

हिमाचलनाउ डेस्क | 21 दिसंबर 2024 at 9:28 am

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

ताशी नामग्याल का निधन

कारगिल युद्ध के नायक और पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में भारतीय सेना को सबसे पहले अलर्ट करने वाले ताशी नामग्याल का निधन हो गया। लद्दाख के आर्यन घाटी स्थित गारखोन में उनका निधन हुआ। वे 58 वर्ष के थे। उनकी समय पर दी गई सूचना ने कारगिल युद्ध में भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कारगिल युद्ध में अहम योगदान

साल 1999 में, मई के महीने में ताशी नामग्याल अपने लापता याक (एक गोवंशी पशु) को खोजते हुए बटालिक माउंटेन रेंज की ओर पहुंचे। यहां उन्होंने पठानी पोशाक पहने कुछ लोगों को बंकर खोदते देखा, जो सिविल ड्रेस में पाकिस्तानी सैनिक थे। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, उन्होंने तुरंत भारतीय सेना को सूचित किया। उनकी इस सूचना ने भारतीय सेना को समय रहते लामबंद होने और पाकिस्तान के सीक्रेट मिशन को विफल करने में मदद की।

ऑपरेशन विजय और भारत की जीत

3 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने ताशी की दी गई सूचना के आधार पर कार्रवाई की। श्रीनगर-लेह राजमार्ग को ब्लॉक करने के पाकिस्तान के मिशन को विफल कर दिया गया। उनकी सतर्कता ने भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को आकार दिया और इस युद्ध में भारत की जीत सुनिश्चित की।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

भारतीय सेना की श्रद्धांजलि

सेना का संदेश

भारतीय सेना के लेह स्थित ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ताशी नामग्याल के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “हम ताशी नामग्याल को उनके आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। एक देशभक्त हमारे बीच नहीं रहा। लद्दाख के बहादुर – आपकी आत्मा को शांति मिले। दुख की इस घड़ी में हम शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

अमूल्य योगदान की सराहना

भारतीय सेना ने 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। सेना ने उन्हें “वीर और देशभक्त चरवाहे” के रूप में सम्मानित किया।

व्यक्तिगत जीवन और अंतिम समारोह

परिवार और सामाजिक योगदान

ताशी नामग्याल इस साल की शुरुआत में द्रास में आयोजित 25वें कारगिल विजय दिवस के समारोह में अपनी बेटी सेरिंग डोलकर के साथ शामिल हुए थे। उनकी बेटी पेशे से शिक्षिका हैं।

वीरता की मिसाल

ताशी नामग्याल की वीरता और सतर्कता ने भारत की सैन्य जीत में न केवल अहम भूमिका निभाई, बल्कि देशभक्ति और साहस का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। उनकी मृत्यु से देश ने एक सच्चा देशभक्त और नायक खो दिया है।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]