Himachalnow / शिमला
शिमला जिले के चौपाल स्थित विजेश्वर संस्कृत महाविद्यालय, जो 1972 में स्थापित हुआ था, आज बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। वर्षों से इसकी मरम्मत या नवीनीकरण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिससे छात्रों और शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
50 वर्षों से जर्जर स्थिति में कॉलेज भवन
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संस्कृत महाविद्यालय 1972 में श्रमदान से बनाया गया था और तब से अब तक इस पर कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ। भवन की दीवारें कमजोर हो चुकी हैं, छत से प्लास्टर गिर रहा है, और बैठने की उचित व्यवस्था तक नहीं है।
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सरकारी मान्यता के बावजूद कोई सुधार नहीं
वर्ष 2016 में इसे सरकारी महाविद्यालय का दर्जा मिला, लेकिन उसके बाद भी न तो भवन के लिए बजट आवंटित हुआ और न ही कोई नवीनीकरण कार्य शुरू किया गया।
स्थानीय निवासियों और शिक्षकों का कहना है कि संस्थान से पढ़कर निकले कई छात्र सरकारी और निजी नौकरियों में कार्यरत हैं, लेकिन कॉलेज की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
मुख्यमंत्री से भवन निर्माण की गुहार
छात्रों और स्थानीय नागरिकों ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि किसी बड़े हादसे से पहले कॉलेज भवन के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए। लोगों का कहना है कि बजट आवंटित कर जल्द से जल्द नए भवन का निर्माण कराया जाए, ताकि विद्यार्थियों को एक सुरक्षित और उचित शिक्षण वातावरण मिल सके।
स्थानीय लोगों की मांग
✔ जल्द से जल्द भवन के पुनर्निर्माण के लिए बजट का प्रावधान किया जाए।
✔ कॉलेज में बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए।
✔ छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहतर बैठने की व्यवस्था बनाई जाए।
निष्कर्ष
विजेश्वर संस्कृत महाविद्यालय पिछले पांच दशकों से शिक्षा का केंद्र रहा है, लेकिन बिल्डिंग की जर्जर हालत इसकी साख को कमजोर कर रही है। यदि जल्द ही सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो यह संस्थान पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो सकता है। अब जरूरत है कि राज्य सरकार जल्द ही बजट आवंटित कर इस समस्या का समाधान करे। 🚨
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