Himachalnow / किन्नौर
हिमाचल प्रदेश में सरकार की सख्ती के बावजूद विभिन्न जिलों में चीट फंड कंपनियां लगातार सक्रिय हैं। प्रदेश का जनजातीय जिला किन्नौर भी इस समस्या से अछूता नहीं है, और यहां के भाबानगर में हालात गंभीर हो चुके हैं। अकेले भाबानगर में ही करीब तीन दर्जन से अधिक लोगों के कड़ी मेहनत से कमाए गए लाखों रुपये एक कोऑपरेटिव सोसाइटी में फंसे हुए हैं। व्यापार मंडल भाबानगर के प्रधान डॉक्टर कुलदीप सिंह मेहता ने बताया कि पिछले तीन-चार वर्षों से यह सोसाइटी लोगों से सेविंग के नाम पर पैसे इकट्ठा कर रही थी, लेकिन जब लोगों को उनका पैसा वापस करने का समय आया तो सोसाइटी ने ना केवल पैसा लौटाना बंद कर दिया, बल्कि लोगों का मूल धन भी वापस नहीं किया।
उन्होंने कहा कि व्यापार मंडल भाबानगर ने इस मामले को जिलाधीश के समक्ष उठाया था, जिसके बाद रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसाइटी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कई लोग अब उनके पास इस मुद्दे को लेकर लगातार आ रहे हैं और अपने पैसे की वापसी की मांग कर रहे हैं। मार्च 2024 में इस मामले को लेकर जिला उपायुक्त के पास एक लेटर भेजा गया था, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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यहां के लोग काफी समय से अपने पैसे की वापसी की उम्मीद लगाए हुए हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि उसका 8 लाख रुपये से अधिक का पैसा फंसा हुआ है और वह पिछले तीन सालों से इस सोसाइटी से पैसे वापस मांग रहा है, लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिल रहा। सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने हमेशा उन्हें टालमटोल किया है और कभी एक हफ्ते, कभी एक महीने का समय देते हैं। इस तरह के व्यवहार से लोग गहरे मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि उसने भी अपनी दुकान और घर की जमा पूंजी सोसाइटी में डाली थी, लेकिन आज तक उसका पैसा वापस नहीं मिला है।
स्थानीय निवासी अब सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सोसाइटी बंद होनी चाहिए और सभी निवेशकों का पैसा, साथ ही ब्याज, लौटाया जाए ताकि भविष्य में अन्य लोग इस तरह के धोखाधड़ी के जाल में ना फंसें।
इस घटना ने साफ किया है कि हिमाचल प्रदेश में चीट फंड कंपनियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि आम जनता को इनके जाल से बचाया जा सके। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इस मामले में शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और उन्हें उनका पैसा वापस किया जा सके।
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