Himachalnow / शिमला
पूर्व कांस्टेबल की पत्नी की शिकायत पर हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। यह मामला पूर्व कांस्टेबल धर्मसुख नेगी की पत्नी की ओर से दर्ज कराया गया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पति को जबरन सेवानिवृत्त किया गया। शिकायत में पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों, तीन एसपी समेत कुल 10 पुलिस अधिकारियों को नामजद किया गया था।
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एफआईआर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(पी) के तहत दर्ज की गई थी। इस पर एसपी अंजुम आरा और अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपों को निराधार बताते हुए प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी।
पति के उत्पीड़न का आरोप, लेकिन कोर्ट ने दिए राहत के आदेश
शिकायतकर्ता का आरोप था कि उनके पति धर्मसुख नेगी, जो किन्नौर जिले के निवासी हैं, को पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाकर जबरन सेवानिवृत्त किया। महिला ने यह भी कहा कि 2020 में उनके पति को विभागीय जांच के बाद नौकरी से निकाला गया, जबकि उनके सेवाकाल के 8 वर्ष शेष थे।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि जांच में लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं पाया गया। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अस्पष्ट आरोपों के आधार पर मामला जारी रखना कानून का दुरुपयोग होगा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अनिश्चितता के बीच राहत की आवश्यकता है, क्योंकि प्राथमिकी के चलते उन्हें मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा था।
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