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Bhota Charitable Hospital / मुख्यमंत्री सुक्खू के आश्वासन के बावजूद भोटा चैरिटेबल हॉस्पिटल पर संकट

Published ByHNN Desk Date Nov 25, 2024

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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा भोटा चैरिटेबल हॉस्पिटल (Bhota Charitable Hospital) को राधा स्वामी सत्संग को सौंपे जाने की घोषणा के बावजूद, अस्पताल के बाहर स्थानीय निवासियों और कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। वे सरकार से अस्पताल को बंद न करने की अपील कर रहे हैं, क्योंकि यह गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करता है।

  • मुख्यमंत्री सुक्खू ने भोटा अस्पताल को राधा स्वामी सत्संग के सिस्टर संगठन को सौंपने की घोषणा की।
  • स्थानीय लोग और कर्मचारी अस्पताल को बंद न करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि यह गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की महत्वपूर्ण सुविधा है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भोटा अस्पताल (Bhota Charitable Hospital) को राधा स्वामी सत्संग को देने का ऐलान किया

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने रविवार को घोषणा की थी कि भोटा चैरिटेबल हॉस्पिटल को राधा स्वामी सत्संग के सिस्टर संगठन को सौंपा जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार एक ऑर्डिनेंस लाएगी और इस मामले में अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी। इसके बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र में सभी वैधानिक पहलुओं पर विचार किया जाएगा। लेकिन, मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद, अस्पताल के गेट पर बंद होने की सूचना लगाई गई, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है।

स्थानीय निवासियों और कर्मचारियों का प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित राधा स्वामी भोटा अस्पताल के बाहर भारी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह अस्पताल गरीबों के लिए एक बड़ा सहारा है, जहां वे मुफ्त इलाज करवाते हैं। अस्पताल को बंद करने का निर्णय गरीब परिवारों के लिए बड़ा झटका होगा। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और नेशनल हाईवे को जाम कर दिया, जिसके कारण वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रुक गई।
एसडीएम बड़सर, राजेंद्र गौतम, को इस स्थिति की जानकारी मिलने के बाद वह मौके पर पहुंचे और हस्तक्षेप कर हाईवे को फिर से खोलवाया। इसके बाद लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल हमीरपुर जिले के उपायुक्त से मिलकर सरकार को ज्ञापन भेजा, जिसमें अस्पताल को बंद न करने की अपील की गई।

अस्पताल के बंद होने से कर्मचारियों और मरीजों को होगा नुकसान
भोटा चैरिटेबल हॉस्पिटल में कार्यरत 200 कर्मचारियों के लिए यह निर्णय बड़ा झटका है। अस्पताल को 30 नवंबर से पूरी तरह बंद करने की घोषणा की गई है, जिसके चलते अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी और करोड़ों रुपए की चिकित्सा मशीनरी ब्यास स्थानांतरित की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप, इलाज कराने आए मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
जिला परिषद अध्यक्ष, बबली देवी, ने भी प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस चैरिटेबल अस्पताल को बंद न किया जाए, क्योंकि यहां गरीब तबके के लोग इलाज करवा रहे हैं और उनकी स्वास्थ्य सेवाओं का नुकसान नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि भोटा अस्पताल को बंद करने के फैसले को लेकर स्थानीय निवासियों और कर्मचारियों में गहरी चिंता और असंतोष है। लोग सरकार से यह अपील कर रहे हैं कि वे अस्पताल को बंद न करें और यदि आवश्यक हो, तो कानून में संशोधन करके अस्पताल को संचालन की अनुमति दी जाए।

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