बगैर वाहन हो रही है निगरानी, लाठी-डंडों से नेशनल पार्क की होती है सुरक्षा
HNN / नाहन
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला स्थित सिंबलबारा नेशनल पार्क भगवान भरोसे चल रहा है। 27. 88 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैले इस नेशनल पार्क की देखरेख और सुरक्षा का जिम्मा कुल तेरह वन कर्मियों के सहारे पर चल रहा है। जिसमें 6 फॉरेस्ट गार्ड ,4 बीओ, एक रेंज ऑफिसर तथा दो क्लास फोर्थ शामिल है। आप यह भी जानकार हैरान हो जाएंगे कि इस बहुमूल्य वन तथा जंगली जीव संपदा की सुरक्षा राम भरोसे पर ही टिकी हुई है। इस बड़े नेशनल पार्क की चारों तरफ से निगरानी करने के लिए वाइल्ड लाइफ के पास एक भी वाहन नहीं है।
जबकि इस नेशनल पार्क की सीमाएं उत्तरांचल व हरियाणा के साथ भी लगी हुई है। ऐसे में जंगली शिकारी और वन संपदा के तस्कर बेखौफ होकर अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस नेशनल पार्क की सुरक्षा को लेकर कर्मचारियों के पास हथियार ही नहीं है। केवल दो बंदूक, फॉरेस्ट वाचर स्कोर उपलब्ध कराई गई है। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जीव जंतुओं की सुरक्षा शिकारियों से सिर्फ राम भरोसे पर टिकी हुई है। वन कर्मी जंगल की सुरक्षा लाठी व डंडों से ही कर पाते हैं।
जानकारी तो यह भी है कि करीब 2 वर्ष पहले नेशनल पार्क के कर्मियों की शिकारियों के साथ मुठभेड़ भी हुई थी। इस मुठभेड़ में जहां शिकारी हथियारों से लैस है तो वही वाइल्डलाइफ कर्मी केवल लाठी-डंडों के सहारे इनसे भिड़ गए थे। यह मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन चल रहा है। इस मुठभेड़ में वाइल्डलाइफ कर्मियों को गंभीर चोटें भी आई थी। सन 1958 में इस वन क्षेत्र को नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। नेशनल पार्क में मौजूदा समय 20 से अधिक तो लेपर्ड घोरल ,चीतल, सांभर, मोर, बैजल जिसे दीमक् खोर भी कहा जाता है आदि जानवर इस नेशनल पार्क में भारी तादाद में है। पर्यटन के नजरिए से प्रदेश सरकार इस नेशनल पार्क को विकसित करने और पर्यटकों को आकर्षित कर पाने में भी नाकामयाब रही है।
हैरानी तो इस बात की है कि इस नेशनल पार्क के लिए सफारी की प्रपोजल सरकार के पास लंबे समय से भी पेंडिंग पड़ी हुई है। वाइल्ड लाइफ प्रेमियों के लिए पर्यटन के नजरिए से यह नेशनल पार्क कमाऊ पूत साबित हो सकता है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार का वन विभाग चिर निंद्रा से जागने का नाम नहीं ले पा रहा है। बड़ी बात तो यह भी है कि इस नेशनल पार्क में हर वर्ष उत्तरांचल से हाथी भी आते जाते रहते हैं। उधर एडिशनल पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अनिल ठाकुर का कहना है कि नेशनल पार्क के लिए सफारी की प्रपोजल सरकार को दी गई है।
उन्होंने कहा कि जब गाड़ी की जरूरत होती है तो किराए पर वाहन उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल इस नेशनल पार्क में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी कम है। वाइल्डलाइफ पर्यटन के नजरिए से इसको विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे।