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हिमाचल में बर्फबारी और बारिश के बीच येलो-अलर्ट जारी, पांच जिलों में दो दिन के लिए ऑरेंज अलर्ट

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शिमला

रोहतांग और लाहौल-स्पीति की चोटियों पर बर्फबारी, शिमला और कांगड़ा में झमाझम बारिश, जून में सामान्य से अधिक मानसून की संभावना

बर्फबारी और बारिश ने बदला मौसम का मिजाज
हिमाचल प्रदेश में मौसम एक बार फिर करवट ले चुका है। सोमवार को रोहतांग दर्रे, लाहौल-स्पीति और कुल्लू की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हुई, जबकि शिमला, चंबा, मंडी और कांगड़ा जिलों में तेज बारिश ने मौसम को ठंडा कर दिया। राजधानी शिमला में शाम के समय तेज बारिश और ओलावृष्टि के चलते तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। रोहतांग में पहुंचे सैलानियों ने ताजा बर्फ के फाहों का खूब आनंद लिया।

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जमीन से आसमान तक हावी अंधड़ और हवाएं
चंबा में सुबह तेज धूप के बाद दोपहर को तेज अंधड़ और बारिश ने राहत दी। मंडी के जोगिंद्रनगर में तेज हवाओं के कारण एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान रामलीला मैदान में पंडाल गिर गया और श्रद्धालुओं के लिए रखी कुर्सियां उड़ गईं। धर्मशाला, थुरल, धीरा और पालमपुर जैसे क्षेत्रों में भी तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। दूसरी ओर, ऊना जिले में दिनभर मौसम साफ रहा, लेकिन दोपहर बाद गर्म हवाओं ने परेशान किया।

पांच जिलों के लिए दो दिन का ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग ने बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों के कुछ क्षेत्रों में मंगलवार और बुधवार को अंधड़, तेज बारिश और ओलावृष्टि को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग ने लोगों को सतर्क रहने, खुले में यात्रा से बचने और सुरक्षित स्थानों में रहने की सलाह दी है। मैदानी इलाकों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है।

मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान हिमाचल में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। वर्ष 1971 से 2024 तक की औसत सामान्य बारिश 734.4 मिमी रही है। जून में भी औसत 101.1 मिमी से ज्यादा बारिश का अनुमान है। जहां यह बारिश कृषि और जल स्रोतों के लिए लाभकारी मानी जा रही है, वहीं इससे बाढ़, यातायात में बाधा, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ने की भी आशंका है।

मौसम विभाग ने सुझाव दिया है कि संभावित जोखिमों से बचने के लिए ढांचागत मजबूती, प्रारंभिक चेतावनी तंत्र का उपयोग, निगरानी प्रणालियों का सशक्तिकरण और संवेदनशील क्षेत्रों में आपात प्रतिक्रिया योजनाएं बनाई जाएं

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