शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल देशराज सोलर ऊर्जा नीति और हरित क्रांति की पहल ने बंजर भूमि को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी बनाकर स्वरोजगार और सस्ती विद्युत उत्पादन के नए द्वार खोले
हिमाचल प्रदेश सरकार की सोलर ऊर्जा नीति और हरित क्रांति की पहल ने बंजर भूमि को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी बनाकर स्वरोजगार और सस्ती विद्युत उत्पादन के नए द्वार खोले हैं। इन प्रयासों के सार्थक परिणाम अब प्रदेशभर में दिखने लगे हैं।
जिला कांगड़ा के उपमंडल शाहपुर की पंचायत तरखानकड़ में शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल देशराज ने सोलर ऊर्जा नीति के तहत 1000 केवी का सोलर पावर प्लांट स्थापित कर प्रतिमाह 4-5 लाख रुपये की आमदनी का नया जरिया बनाया है। उन्होंने 50 कनाल बंजर भूमि को लीज पर लेकर अप्रैल 2024 में यह प्लांट शुरू किया।
देशराज का कहना है कि सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने का उनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लिए कुछ सकारात्मक करना और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में गर्मियों में 90-95% और सर्दियों में 60% तक विद्युत उत्पादन होता है। इसके जरिए प्रति वर्ष 50-55 लाख रुपये की आमदनी का अनुमान है। परियोजना की लागत 8-10 वर्षों में पूरी होने की संभावना है, जिसके बाद 15 वर्षों तक शुद्ध मुनाफा होगा।
उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा एक पर्यावरण-अनुकूल और नवीकरणीय स्रोत है, जो कम समय में स्थापित हो सकता है और विभिन्न कार्यों में उपयोगी साबित होता है। यह परियोजना न केवल उनकी आमदनी का जरिया बनी है बल्कि भूमि मालिकों को भी लीज मनी के रूप में तीन लाख रुपये वार्षिक लाभ हो रहा है।
युवाओं को स्वरोजगार की प्रेरणा
देशराज ने अपने बेटे, जो बीटेक स्नातक हैं, को नौकरी के बजाय इस परियोजना का संचालन करने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना है कि सौर ऊर्जा परियोजनाएं युवाओं को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक होंगी।
सरकार का सहयोग और प्रयास
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि सौर ऊर्जा नीति के तहत इच्छुक लोगों को प्रेरित करने और सकारात्मक सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार सौर ऊर्जा प्लांट में उत्पादित बिजली को विद्युत विभाग के माध्यम से खरीद रही है, जिससे परियोजना संचालकों को सीधा लाभ मिल सके। परियोजना अधिकारी रमेश ठाकुर ने भी सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाओं की जानकारी दी।
सौर ऊर्जा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और स्वरोजगार के नए अवसर हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में तेजी से आगे ले जा रहे हैं।