HNN/शिमला
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के सुधारों के बीच विरोध और उथल-पुथल हो रही है। सरकार का लक्ष्य प्रदेश को खुद के पैरों पर खड़ा करना है, लेकिन यह आसान नहीं है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति तीन दशकों में बिगड़ी है, इसलिए तीन वर्ष में सुधार करना मुश्किल है। सरकार को प्रदेश के खुद के राजस्व संसाधन बढ़ाने होंगे, जिससे लोगों को नौकरियां मिलें और शिक्षा मिले। पर्यटन, उद्योग और ऊर्जा संयंत्रों पर ध्यान देना होगा।
सरकार को अपने हकों को वापस मांगने के लिए केंद्र से बातचीत करनी होगी, जैसे कि एन.पी.एस. के 9200 करोड़ रुपए वापस मांगना। इसके अलावा, सरकार को तुरंत धन लेने के लिए अपने हिस्से का हक मांगना होगा, जैसे कि हिमाचल के बी.बी.एम.बी. के प्रोजैक्ट के 4,000 करोड़ शेयर के हिस्से का। सरकार को बचत पर काम करना होगा और खर्च को कम करना होगा, जैसे कि मुफ्त स्कीमें बंद करना और किराया महंगा करना।
सरकार को अपने कर्मचारियों की संख्या कम करनी होगी और उन्हें व्यवस्थित करना होगा, जैसे कि सचिवालय, राजभवन, विधानसभा, संवैधानिक दफ्तरों से कर्मियों को तबादला नीति के तहत लाकर ट्रांसफर करने का प्रावधान करना। सरकार को कानूनी बिलों में संशोधन करना होगा, जैसे कि विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां, स्कूल बंद करने और बर्खास्त विधायकों के भत्ते-पैंशन काटना।
सरकार को प्रदेश के विकास के लिए नए आयामों को तलाशना होगा, जैसे कि पर्यटन, उद्योग और ऊर्जा संयंत्रों पर ध्यान देना। सरकार को प्रदेश के लोगों को नौकरियां और शिक्षा दिलाने के लिए काम करना होगा, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधार सके।