1100 उद्योगों के दम पर रोजगार की आस, मगर सरकारी में उम्मीद कम
HNN/नाहन
जिला सिरमौर में 55744 महिला तथा पुरुषों बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है। सीमित संसाधनों और उद्योगों में निवेश की कमी के चलते रोजगार की आस पर भी दूर दूर तक निराशा ही नजर आ रही है। जिला के दो प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में कुल 1100 के लगभग औद्योगिक इकाइयां हैं। जिला रोजगार कार्यालय में रजिस्टर्ड कुल बेरोजगारों के अलावा जिला की 916 औद्योगिक इकाइयों में 25860 के लगभग बेरोजगारों को रोजगार मिला हुआ है।
बड़ी बात तो यह है कि निजी क्षेत्र में रोजगार पाने वाले युवाओं में अधिक संख्या साथ लगते पड़ोसी राज्यों के युवा युवतियों की है। औद्योगिक इकाइयों में 70 फीसदी हिमाचली युवाओं को रोजगार की गारंटी का अगर फिगर देखा जाए तो यह 5 फीसदी भी नहीं बन पाता है। वहीं पर्यटन सहित अन्य रोजगार परक संसाधनों के उचित दोहन तथा सरकार की इच्छा शक्ति की कमी के चलते कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है।
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत स्वयं रोजगार अप्लाई करने वाले जिला के स्थानीय निवेशकों की संख्या भी एक दर्जन का आंकड़ा पार नहीं कर पा रही है। हालत यह है कि जिला में 4870 पोस्ट ग्रेजुएट 9984 ग्रेजुएट तथा जमा कक्षा उत्तीर्ण करने वाले 27186 युवा युवतियों सहित दसवीं पास 11561 और दसवीं क्लास से नीचे 2136 युवा युवती ही जिला रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हैं।
जिला श्रम एवं रोजगार कार्यालय में सात अनपढ़ भी है जिन्होंने नौकरी की इच्छा जताई है। जातिगत आरक्षण के आधार पर इनमें से शेड्यूल कास्ट बेरोजगार की संख्या 16885 और जनजाती बेरोजगारों की संख्या 567, ओबीसी 12659 तथा अन्य 25 633 बेरोजगार रजिस्टर्ड है। कुल बेरोजगारों की संख्या में पुरुषों की संख्या 28950 जबकि महिला बेरोजगारों की संख्या 26794 है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगारों की बात की जाए तो शहरी क्षेत्र के 6512 तथा ग्रामीण क्षेत्र के 49232 यानी सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के युवा युवती बेरोजगार हैं।
वेकेंसी नोटिफिकेशन कि यदि बात की जाए तो फिलहाल सरकारी सेक्टर बिल्कुल निल है जबकि प्राइवेट सेक्टर में 536 प्रविष्टियां मांगी गई हैं। स्थानीय उद्योग हिमाचलियों से ज्यादातर मजदूर क्लास में ही नौकरी देने की बात कहते हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पिछले काफी लंबे समय से रोजगार मेला भी नहीं आयोजित किया गया है। बावजूद इसके 211 कैंपस इंटरव्यू आयोजित किया जा चुके हैं।
जिला के इन दोनों औद्योगिक क्षेत्र में फार्मा उद्योग में काफी ज्यादा बेरोजगारों को नौकरी मिल सकती है मगर मौजूदा समय सरकार फार्मा उद्योगों के संरक्षण और उनके लिए कोई विशेष योजना ना बना पाने के चलते यह उद्योग हिमाचल प्रदेश से पलायन की स्थिति में है। वही सीडीएससीओ के द्वारा इस समय प्रदेश के दवा उद्योगों में रिस्क बेस इंस्पेक्शन भी चलाया हुआ है। जिसमें अधिकतर एमएसएमई के तहत आने वाले दवा उद्योग भारी दबाव में प्रदेश सरकार के निष्क्रिय सहयोग के चलते प्रोडक्शन नहीं कर पा रहे हैं।
जिला में 90 फीसदी दवा उद्योग एमएसएमई के तहत है ऐसे में इनमें से अधिकतर उद्योग भी जम्मू कश्मीर की तरफ पलायन कर रहे हैं। बरहाल सिरमौर में सरकारी नौकरियां जहां एक दूर का ख्वाब हो गया है वही निजी सेक्टर भी रोजगार दे पाने में असमर्थ नजर आ रहा है। ऐसे में जिला सिरमौर के बेरोजगारों की बड़ी फौज आने वाले समय में सरकार के लिए गले की फांस भी बन सकती है।