सिरमौर में कृषि वैज्ञानिकों छोटे और सीमांत किसानों के लिए खोलें विकल्प

भारतीय गेहूं एवं जौं अनुसन्धान केंद्र, करनाल (हरियाणा) एवं कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर ने चलाया किसान जागरूकता अभियान

HNN/ नाहन

देश व प्रदेश के किसानों को गेहूं तथा जौं की खेती में अधिक पैदावार और पौष्टिक फसल मिले इसको लेकर हिमाचल और हरियाणा के कृषि विज्ञानों ने बड़ी पहल की है।

सिरमौर के धौला कुआं पहुंचे भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौं अनुसन्धान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में शामिल डॉ. सत्यवीर सिंह बाजवा, डॉ. अनिल, डॉ. जयंत और डॉ. चारुलता ने जिला सिरमौर के विभिन्न गांवों का दौरा किया।

हिमाचल के वैज्ञानिकों सहित करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के द्वारा सिरमौर के उत्तमवाला, बोहलियों एवं पातलियों गांव का दौरा किया गया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने अनूसूचित जाति के किसानो को कृषि क्षेत्र में हो रहे नवोन्मेषी तकनीकों और प्रगति के विषय में जानकारी दी।

बता दें कि भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसन्धान केंद्र, करनाल ने कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर के सहयोग से इन तीन गावों में 25, 26 और 27, जून को इन जागरूकता शिविरों का आयोजन किया था।

इस दौरान वैज्ञानिकों ने किसानों से दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता पर जोर दिया। वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने कहा कि हमारे किसानों की आय बढ़ाने और बदलते परिदृश्य के लिए तकनीकी उन्नति को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी कृषि नीति और शोध छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को हमें विज्ञान से जोड़ना है और इसके लिए विजन तथा मिशन के साथ कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाना होगा।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि किसान का कल्याण करना ही हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आज जमीन घट रही हैं और अनाज की ज़रूरतें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि कम जमीन होने के बावजूद किसान अधिक से अधिक उन्नत किस्म की पैदावार लगे ताकि उन्हें न केवल अच्छा लाभ मिले बल्कि उगाई गई फसल स्वास्थ्य के नजरिए से भी महत्वपूर्ण हो।

इन शिविरों में कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल, जिला सिरमौर के परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. साहब सिंह, कृषि विज्ञानं केंद्र के वैज्ञानिक संगीता अत्री, डॉ. हर्षिता सूद और डॉ. शिवाली धीमान ने भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

इन विशेषज्ञों ने किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा के दौरान भारतीय कृषि की चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर गहन चर्चा की। शिविर में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के साथ ही नई तकनीकों का परीक्षण और क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से करने की बात भी रखी गई।

डॉ. पंकज मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना अनिवार्य है और यह केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो पाएगा ।उन्होंने कहा कि सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और किसानों के बीच सहयोग से ही हम भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।


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