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पच्छाद के आंगनवाड़ी केंद्रों में प्राइवेट स्कूलों जैसी पहचान: बच्चों को मिलेगी अब ‘यूनिफॉर्म!

Shailesh Saini | 11 जुलाई 2025 at 8:08 pm

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अभिभावकों की भागीदारी से ड्रेस कोड लागू करने की अनूठी पहल, ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ योजना को मिलेगा बढ़ावा

हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पच्छाद उपमंडल में बाल विकास परियोजना अधिकारी ने एक अभिनव और सराहनीय पहल की शुरुआत की है। अब यहां के आंगनवाड़ी केंद्रों में भी निजी शिक्षण संस्थानों की तर्ज पर बच्चों के लिए ड्रेस कोड (वर्दी) लागू किया जा रहा है।

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यह कदम आंगनवाड़ी केंद्रों को आधुनिक स्वरूप देने और उन्हें निजी प्ले स्कूलों व अन्य शिक्षण संस्थाओं के समकक्ष लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।निजी स्कूलों को टक्कर देने की तैयारी:बाल विकास परियोजना अधिकारी पच्छाद, दीपक चौहान ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य आंगनवाड़ी केंद्रों को और अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाना है, ताकि वे निजी शिक्षण संस्थानों से प्रतिस्पर्धा कर सकें।

उन्होंने रेखांकित किया कि महिला एवं बाल विकास विभाग वर्ष 1975 से महिलाओं और बच्चों के शारीरिक व बौद्धिक विकास के लिए 6 महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कर रहा है। बच्चों के पोषण के साथ-साथ अनौपचारिक शाला पूर्व शिक्षा के माध्यम से उनके सर्वांगीण विकास में आंगनवाड़ी केंद्रों का योगदान अतुलनीय रहा है।

पोषण भी, पढ़ाई भी’ योजना को बल:

दीपक चौहान ने बताया कि यह नई पहल ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ योजना के उद्देश्यों को और मजबूत करेगी, जिसके तहत बच्चों के पोषण और शिक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बच्चों को एक पहचान देने और उनमें अनुशासन की भावना विकसित करने के लिए ड्रेस कोड को आवश्यक माना जा रहा है।पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत:इस अनूठी पहल के तहत, परियोजना अधिकारी पच्छाद ने नैनटिककर-2 के आंगनवाड़ी केंद्र गदशाया को पायलट आधार पर चुना।

यहां केंद्र में आने वाले 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के 7 बच्चों को अभिभावकों की उपस्थिति में उत्साहपूर्वक आंगनवाड़ी केंद्र की नई वर्दी वितरित की गई। यह वितरण समारोह स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने इस पहल का स्वागत किया।

दीपक चौहान ने आगे बताया कि परियोजना के अधीन कार्यरत सातों पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में कम से कम दो आंगनवाड़ी केंद्रों में अभिभावकों की सहमति और सक्रिय सहभागिता के साथ इस प्रयोगात्मक परियोजना को लागू करें।

इस अवसर पर पर्यवेक्षक कुसुम लता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कांता देवी सहित कई स्थानीय ग्रामीण और बच्चों के अभिभावक उपस्थित रहे। यह पहल निश्चित रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों की छवि को निखारेगी और बच्चों के सर्वांगीण विकास में एक नई दिशा प्रदान करेगी।

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