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शिलाई विधानसभा का गणित कांग्रेस के गढ़ में कमल की ओर !

PRIYANKA THAKUR | 3 अक्तूबर 2022 at 3:19 pm

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हाटी और किया गया काम बदल रहा है हवा का रुख

HNN / शिलाई

शिलाई विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। तो वही, कुछ प्रमुख कांग्रेसी चेहरों पर भाजपा का मेकअप अब चमकने भी लग पड़ा है। वही, विधानसभा क्षेत्र की 58 पंचायतें और 102 बूथ कुल मतदाता की गणना के हिसाब से भाजपा के संभावित प्रत्याशी को लाभ पहुंचाते हुए नजर आते हैं। इसकी बड़ी वजह बीते 70-75 वर्षों में हुए विकास कार्य जनता जनार्दन की जुबान पर चर्चा का विषय बन गए हैं। यही नहीं भले ही क्षेत्र जनजातीय घोषित ना हुआ हो, मगर हाटी का हल कमल के फूल को इस बार जमीन में जगह देता नजर आता है।

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ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के लगभग तय माने जाने वाले प्रत्याशी कमजोर स्थिति में है बल्कि उनका वोट बैंक अभी भी पूरी तरह से स्थिर है। मगर यहां पर लादी क्षेत्र में और कुछ ऐसे कांग्रेसी चेहरे हैं जो संभावित प्रत्याशी के फेवर में नजर नहीं आते हैं। वही, यदि कुल वोटर की संख्या की बात की जाए तो वह करीब 75-76 हजार के आसपास कुल वोटर हैं। इनमें ओबीसी वोट बैंक 10 से 12,000 के आसपास, वही एससी वोट बैंक 18 से 19,000 के आसपास है। बाकी बड़ी संख्या जनरल वोट बैंक की जानकारी में है। ऐसे में यदि हाटी का विरोध करने वालों की संख्या को देखा जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र में वह काफी कम है जोकि प्रमुख वर्ग के आगे काफी कम नजर आती है।

चूंकि जनजातीय क्षेत्र हो या फिर हाटी को एसटी का दर्जा इस पर भाजपा के संभावित प्रत्याशी के संघर्ष को जनता की पहली प्राथमिकता है। अब यदि बात की जाए भाजपा संभावित प्रत्याशी के ड्रॉ-बैक की तो कार्यकर्ता का एक बड़ा वर्ग अपने नेता से कहीं ना कहीं नाराज चल रहा है। जनता जनार्दन में एक चर्चा और भी प्रमुख रूप से सुनने को मिल रही है कि नेताजी मुख्यमंत्री के जब से नजदीकी हुए हैं उनके स्वभाव में थोड़ा सख्त रवैया है। मगर जनता जनार्दन यह भी कहती है कि विकास कार्य करवाने में भी नेता ने कहीं कोई कमी भी नहीं छोड़ी है।

ऐसे में संभावित प्रत्याशी को कहीं ना कहीं यह भी जरूर सोचना होगा कि अगर वह सरकार में कद्दावर हैं तो उसमें जनता की मुख्य भागीदारी है। यह विधानसभा क्षेत्र हालांकि दो प्रमुख राजनीतिक दलों का रण क्षेत्र है। मगर एक विभाग से सेवानिवृत्त हुए अधिकारी बतौर आजाद उम्मीदवार और देवभूमि क्षत्रिय संगठन के साथ-साथ आम आदमी की चहल कदमी भी जनता के बीच चल रही है। आजाद उम्मीदवार और देवभूमि क्षत्रिय संगठन अगर किसी को नुक्सान पहुंचाएगा तो वह सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को।

तो वही आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार का नुक्सान कांग्रेस के ऊपर ज्यादा पड़ेगा। हालांकि अभी संभावित प्रत्याशियों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, मगर जनता के बीच जो चर्चा इस समय चल रही है वह सत्ता पक्ष के उम्मीदवार की ओर ज्यादा प्रबल नजर आ रहा है।

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