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वक्फ़ बिल लोकसभा में पास, 288 वोटों से मिली मंजूरी

Shailesh Saini | 3 अप्रैल 2025 at 10:15 am

आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा बिल, संशोधन को लेकर 100 से ज्यादा आए थे प्रस्ताव, अधिकांश खारिज

हिमाचल नाऊ न्यूज़ नई दिल्ली

लोकसभा में 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद वक्फ़ बिल पास हो गया। इस बिल पर कुल 520 वोट पड़े, जिनमें से 288 वोट बिल के पक्ष में और 232 वोट विपक्ष में पड़े। यह बिल अब 3 अप्रैल यानी आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

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लोकसभा में वक्फ़ बिल पर चर्चा आज सुबह 12 बजे से शुरू हुई थी। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को पेश किया था। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तल्ख़ियां दिखीं, लेकिन अंततः बिल पास हो गया।चर्चा के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताया।

हालांकि, सरकार ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ़ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उनके दुरुपयोग को रोकना है।वक्फ़ बिल पर कुल 100 से ज्यादा संशोधन प्रस्ताव आए थे, लेकिन अधिकांश ख़ारिज हो गए।

गौरव गोगोई, केसी वेणुगोपाल, अरविंद सावंत और मोहम्मद जावेद द्वारा दिए गए संशोधन प्रस्ताव ख़ारिज हो गए। वहीं, ओवैसी, टीएमसी और शिवसेना यूबीटी द्वारा दिए गए संशोधन प्रस्ताव भी ख़ारिज हो गए।

हालांकि, किरेन रिजिजू का एक संशोधन प्रस्ताव पास हो गया। इसके अलावा, विपक्ष की मांग पर एनके प्रेमचंदन समेत तीन संशोधन प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई, लेकिन ये सभी ख़ारिज हो गए।

बाकी संशोधन प्रस्ताव ध्वनि मत से पास कर दिए गए।वक्फ़ बिल पर वोटिंग रात पौने दो बजे शुरू हुई और कुछ ही मिनट में नतीजा निकल आया। एनडीए गठबंधन के पास कुल 296 वोट थे, जिनमें से 288 वोट बिल के पक्ष में पड़े।

वहीं, इंडिया गठबंधन के पास कुल 235 वोट थे, जिनमें से 232 वोट विपक्ष में पड़े।अब देखना यह है कि राज्यसभा में इस बिल को लेकर क्या होता है। यदि यह बिल राज्यसभा में भी पास हो जाता है, तो यह एक महत्वपूर्ण कानून बन जाएगा जो वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को सुधारने में मदद करेगा।

इस बिल्कुल लेकर पांच बड़े भरोसे भी दिए गए हैं जिसमें किसी भी मस्जिद पर कोई कार्यवाही का प्रावधान बिल में नहीं है। इसमें यह भी बतया गया है कि यह सिर्फ संपत्ति का मामला है धार्मिक संस्थाओं से इस बिल का कोई लेना-देना नहीं है।

बिल में किसी भी धार्मिक मस्जिद की व्यवस्था में किसी भी तरह का हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा धार्मिक कार्यकलाप में कोई हस्तक्षेप नहीं रखा गया है।

बोर्ड कानून के दायरे में होगा जिसमें कोई भी कनून से उलट नहीं होगा। कलेक्टर से ऊपर कोई भी अधिकारी सरकारी जमीन और किसी विवादित जमीन का विवाद देखेगा, बिल में मस्जिद के मैनेजमेंट में दखलंदाजी का प्रावधान नहीं है।

केंद्रीय काउंसलिंग के 22 सदस्यों में गैर-मुसलमान सदस्य चार से ज्यादा नहीं होंगे। पूर्व अधिकारियों सहित संसद में किसी भी धर्म के तीन सदस्य चुने जाएंगे

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