लेह में पूर्ण राज्य की मांग को लेकर छात्रों का आंदोलन हिंसक रूप ले चुका है। प्रदर्शनकारियों ने CRPF की गाड़ी और बीजेपी दफ्तर में आग लगा दी। इस बीच पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
लेह
उमर अब्दुल्ला का बयान
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का वादा कभी नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि 2019 में जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला तो वहां के लोगों ने जश्न मनाया था, लेकिन अब वे खुद को ठगा हुआ और गुस्से में महसूस कर रहे हैं। उन्होंने जोड़ा कि अगर लद्दाखी ऐसा महसूस कर रहे हैं तो कल्पना कीजिए कि जम्मू-कश्मीर के लोग कितने निराश होंगे, जिन्हें बार-बार राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया गया लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ।
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हिंसक प्रदर्शन और प्रशासनिक कदम
प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को लेह में जमकर बवाल किया। उन्होंने बीजेपी दफ्तर, हिल काउंसिल और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने धारा 163 लागू कर पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी है।
सोनम वांगचुक की अपील
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की। वांगचुक खुद भी लंबे समय से लेह की मांगों को लेकर अनशन पर थे। लेकिन हालात बिगड़ने और भूख हड़ताल पर बैठे दो युवाओं की तबीयत खराब होने के बाद उन्होंने अपना 15 दिन का अनशन खत्म कर दिया।
पृष्ठभूमि और आंदोलन का कारण
लद्दाख अपेक्स बॉडी (LAB) की यूथ विंग ने प्रदर्शन का आह्वान किया था। 10 सितंबर से शुरू हुई 35 दिन की भूख हड़ताल में शामिल 15 लोगों में से दो की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
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