प्रशासन की चुप्पी से ग्रामीणों में रोष, प्रभावित परिवार को त्वरित मदद की मांग
रोहड़ू (शिमला)
आधी रात को मचा कहर, परिवार बेघर
तहसील रोहड़ू के भलूण-कैंची गांव में 3 सितंबर 2025 की देर रात भारी वर्षा ने त्रासदी ला दी। लगातार बारिश से ग्रामवासी रमेश चंद मेहता का दो मंजिला मकान पूरी तरह ढह गया। परिवार उसी घर में रह रहा था और अब वे पूरी तरह बेघर हो चुके हैं। अचानक घर टूटने से उनका जीवन-यापन संकट में पड़ गया है और रहने-खाने की समस्या गंभीर हो गई है।
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प्रशासन और जनप्रतिनिधि गायब
दुर्घटना के कई दिन बीत जाने के बावजूद न तो पंचायत प्रतिनिधि, न ही प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचा। प्रभावित परिवार को अब तक राहत सामग्री, अस्थायी आश्रय या आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं करवाई गई है। इस लापरवाही ने ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ा दिया है।
ग्रामीणों की चार मांगें, सरकार पर दबाव
स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से जोरदार मांग की है कि रमेश चंद मेहता के परिवार को तत्काल राहत सामग्री और अस्थायी आवास उपलब्ध कराया जाए। साथ ही पर्याप्त मुआवजा राशि दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर ठोस कदम उठाए जाएं। ग्रामीणों ने कहा कि आपदा की घड़ी में सरकार और प्रशासन का कर्तव्य है कि वे तुरंत पीड़ितों तक पहुंचें।
उदासीनता पर सवाल, भरोसा बहाल करने की चुनौती
इस हादसे ने न सिर्फ एक परिवार को संकट में डाला है, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर किया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर मदद नहीं पहुंची, तो यह उदाहरण राज्यभर में प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन जाएगा। सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह विश्वास बहाल करे और प्रभावितों तक त्वरित राहत पहुंचाए।
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