Himachalnow/नाहन
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार रेणु मंच से अपने संबोधन में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भले ही अपने विधायकों और विपक्षी विधायकों की किसी भी मांग को न माना हो, लेकिन उन्होंने अपने पूरे भाषण में प्रदेश के मौजूदा हालातों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि न तो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार हो रहा और न ही यहां स्वास्थ्य सुविधाएं मरीजों को अच्छी मिल पा रही है।यहां तक कि प्रदेश में पीने के पानी भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।पीने योग्य पानी न होने के चलते कैंसर के मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या लगातार बढ़ रही है।उन्होंने कहा कि ये तमाम पैदा किए गए हालात पूर्व भाजपा सरकार की देन हैं, जिन्होंने जनता का पैसा राजनीतिक लाभ में लुटा दिया। यही वजह है कि जो प्रदेश शिक्षा में देश के दूसरे पायदान पर था, आज वह 21वें स्थान पर पहुंच गया है। यही हालात अन्य क्षेत्रों के भी बने हैं। ऐसे में झूठी और कोरी घोषणाएं करके वह जनता के साथ धोखा नहीं करना चाहते। वे यहां से कई घोषणाएं कर सकते हैं, इनकी नेटिफिकेशन भी करवा सकते हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए उन्हें संस्थानों को बंद करने जैसे कड़े फैसले लेने पड़े। सरकार पहले से चल रहे पुराने संस्थानों को हर तरह से बेहतर बनाने के निर्णय ले रही है। इस दिशा में हिमाचल सरकार आगे बढ़ रही है। उनकी सरकार की ओर लिए गए कड़े फैसलों के जो परिणाम निकल कर आएंगे, वे अत्यंत सुखद और मील का पत्थर साबित होंगे।बता दें कि रेणु मंच पर नाहन के विधायक अजय सोलंकी के बाद पच्छाद की भाजपा विधायक रीना कश्यप को संबोधन का मौका मिला। उन्होंने मंच से जहां महिला विधायकों में से किसी एक को मंत्री बनाने की सिफारिश की। साथ ही उन्होंने राजगढ़ के शिरगुल मेले को राज्यस्तरीय दर्जा देने की भी मांग रखी।
वहीं, पांवटा साहिब के विधायक एवं पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने लोक निर्माण विभाग के उपमंडल को पुनः बहाल करने और गिरिपार के हाटियों को उनका हक दिलाने के लिए एक बेहतर वकील को हाई कोर्ट में खड़ा करने की सिफारिश की।विधायक अजय सोलंकी ने क्षेत्र की अरसे से लंबित पड़ी धौलाकुआं में एग्रीकल्चर कालेज खोलने की मांग रखी। विधायक ने नाहन डिपो में बसों की भरपाई के लिए 8 नई बसें देने की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी।
बहरहाल, मुख्यमंत्री ने किसी भी विधायक की मांग को मंच से पूरा नहीं किया हो, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि सबसे पहले वह प्रदेश की बिगड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाएंगे।इसके बाद हर मांग को पूरा भी करेंगे। इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष आनंद परमार, पूर्व कांग्रेस महासचिव दयाल प्यारी, पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता रूपेंद्र ठाकुर समेत जिला प्रशासन और विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।मुख्यमंत्री ने सांसद सुरेश कश्यप से कहा कि वे उन कर्मचारियों का हक भी दिलवाएं, जिस पर केंद्र सरकार कुंडली मारे बैठी है। उन्होंने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मियों का जो अंशदान है उसमें सरकार के भी साढ़े चार हजार करोड़ रुपये हैं और कर्मियों के भी ईपीएफ के रूप में 12 फीसदी कटने वाला अंशदान का 9 हजार करोड़ रुपये है।वह सरकारी कर्मचारियों का पैसा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह लोकसभा में इस बात को उठाएंगे।