Punjab's support on Delhi's Aam Aadmi Party ideology

दिल्ली की आम आदमी पार्टी विचारधारा पर पंजाब का समर्थन

2022 में हिमाचल की राजनीतिक आबो-हवा पर होगा बड़ा असर

HNN / नाहन

भले ही उत्तर प्रदेश में योगी सरकार एक बार फिर बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो रही है। तो वही हिमाचल के 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल बनती नजर आ रही है। उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी नेक टू नेक फाइट में रही। तो वही पंजाब में केजरीवाल का दिल्ली विकास मॉडल पर झाड़ू फिर गया है। इसकी बड़ी वजह अगर हम अपने राजनीतिक विश्लेषण में दें तो जितने भी कद्दावर नेता कांग्रेस के थे या बीजेपी के वह एक बड़े परिवर्तन पर अपनी अपनी पार्टी से अलग-थलग थे।

फिर चाहे कैप्टन अमरेंद्र सिंह हो या बीजेपी को समर्थन देने वाली महिला मंत्री के द्वारा किसान आंदोलन के दौरान पद से इस्तीफा दे देना। यह एक ऐसे चेहरे थे जो अपनी अपनी पार्टी के लिए विक्ट्री सिंबल थे। अब इन पांच राज्यों के चुनावों में सबसे ज्यादा बैकफुट पर कांग्रेस ही रही। जाहिर है हिमाचल प्रदेश में 2022 के चुनाव में इसका एक बड़ा असर भी नजर आएगा। 2022 का चुनाव भाजपा के रास्ते आसान कर रहा है। मगर हम पहले भी कह चुके हैं कि प्रदेश में भाजपा को कांग्रेस से नहीं बल्कि भीतर घात से ज्यादा बड़ा खतरा है।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले जाने का फैक्टर कामयाब हो रहा है। तो वहीं पंजाब और उत्तराखंड दोनों से नसीहत लेते हुए भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में चुनाव से पहले बड़े बदलाव की ओर भी इशारा कर रहा है। अब सवाल यह उठता है कि 2022 में हिमाचल में बीजेपी के टिकटों को लेकर और बीते 4 साल में अपनी ही पार्टी में होते हुए बैकफुट पर रहे निश्चित ही हिमाचल प्रदेश में तीसरा फैक्टर आम आदमी को मजबूत बना रहा है। हालांकि प्रदेश में जयराम की सरकार ने कोविड-19 महामारी में विकास में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है। सरकार का हर मंत्री बेदाग रहा है।

देखना यह भी होगा कि क्या प्रदेश की जनता विकास को समर्थन देती है या फिर प्रदेश का नाराज कर्मचारी वर्ग सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा करेगा। एक बात तो तय है कि 2022 राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के लिए यह अग्नि परीक्षा भी होगी। मगर यह भी सही है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भले ही कर्मचारी वर्ग खफा हो गया है, मगर आम जनता में आज भी मुख्यमंत्री की लोकप्रियता बरकरार है।

सवाल यह उठता है कि संगठन में किस तरह से हताश और बैकफुट पर रहे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को फ्रंट फुट पर लाया जाए। संभवत प्रदेश अध्यक्ष के आजू और बाजू मजबूत करने होंगे। प्रदेश अध्यक्ष को निर्णय क्षमता के लिए फ्री हैंड करना भी होगा। इतना तो तय है कि आज के चुनावी परिणामों के बाद प्रदेश में सरकार सहित भाजपा संगठन बड़ी ही द्रुतगति से प्रैक्टिकली रूप पर कसरत करने में जुट जाएगा। हालांकि कांग्रेस एक बड़े बदलाव के साथ दम पकड़ सकती है मगर उतनी नुक्सान दायक भी साबित हो सकती है।

बरहाल, आपको बता दें उत्तराखंड में जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बड़ी उम्मीद पर थी, वहां भी बीजेपी सरकार बनती नजर आ रही है। मणिपुर, यूपी में कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर है। गोवा और पंजाब में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है मगर सरकार यहां भी नहीं बन रही है। गोवा में यदि आम आदमी पार्टी और टीएमसी सहित अन्य चार कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो सरकार बन सकती है। मगर पंजाब में जिस तरीके से आम आदमी अब राष्ट्रीय स्तर पर उभरी है जाहिर है केंद्र की राजनीति में अब आम आदमी पार्टी का भी अहम रोल साबित होगा।

प्रदेश में कोई तीसरे किसी गठन की अब संभावना नजर नहीं आती, संभव नाराज वर्ग आम आदमी पार्टी में अपनी जमीन तलाश करेगा। अब देखना यह होगा कि भाजपा के नाराज वर्ग और कांग्रेस के रुष्ठ वर्ग की लिस्टिंग आम आदमी पार्टी किस तरीके से कर पाती है। यह तो तय है कि सिल्क रूट से आम आदमी का रास्ता हिमाचल के लिए भी खुलता हुआ नजर आ गया है।


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