प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ सोमवार को धर्मशाला में युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। जिला मुख्यालय स्थित डीसी कार्यालय के बाहर एकत्रित होकर युवाओं ने सरकार पर अव्यवहारिक और शोषणकारी नीति लागू करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि इस फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लिया गया तो प्रदेशभर के युवा शिमला सचिवालय का घेराव करेंगे।
धर्मशाला
नीति को बताया युवाओं के भविष्य के साथ धोखा
प्रदर्शनकारी युवाओं ने कहा कि सरकार की यह पॉलिसी उनके भविष्य के साथ धोखा है। दो साल की अस्थायी नौकरी के बाद फिर से परीक्षा लेने का प्रावधान किसी भी रूप में तर्कसंगत नहीं है। युवाओं ने मांग की कि इस नीति को लिखित आदेश के माध्यम से तुरंत रद्द किया जाए ताकि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो।
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स्थायी नियुक्ति की मांग और अस्थिरता पर चिंता
युवाओं का कहना है कि डिग्री, डिप्लोमा और प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने के बाद भी केवल अस्थायी नियुक्ति देकर और दो साल बाद पुनः परीक्षा की शर्त लगाकर सरकार उनकी योग्यता का अपमान कर रही है। यह नीति युवाओं को अस्थिर रखती है, जिससे उन्हें न तो स्थायी कर्मचारी का दर्जा मिलेगा और न ही अधिकार। प्रशासनिक स्तर पर शोषण की संभावना बढ़ जाती है और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
नीतियों में बार-बार बदलाव से बढ़ रहा असुरक्षा और मानसिक तनाव
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार बार-बार नीतियां बदलकर युवाओं के साथ विश्वासघात कर रही है। पहले ही टैट पास करने और ट्रेनिंग लेने के बावजूद नौकरी के लिए दोबारा परीक्षा की शर्त से युवाओं में असुरक्षा और मानसिक तनाव बढ़ रहा है। उनका कहना है कि अगर अंत में स्थायी नियुक्ति देनी ही है तो यह प्रक्रिया शुरू में ही पारदर्शिता और भरोसे के साथ पूरी क्यों नहीं की जाती।
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