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चुनावी वर्ष में जयराम सिरमौर से जोड़ गए मामा-भांजा का नाता

SAPNA THAKUR | 5 मई 2022 at 6:06 pm

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HNN/ नाहन

कांग्रेस के गढ़ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आखिर जनजातीय क्षेत्र दर्जा की अंतिम कील ठोक दी है। यही नहीं चुनावी वर्ष के दौरान सिरमौर से मामा-भांजा का रिश्ता भी जयराम जोड़ गए हैं। श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के हरिपुरधार मां भंगायणी मेले के समापन समारोह की जनसभा में जयराम ठाकुर ने जमकर कांग्रेस को भी घेरा। बड़ी बात तो यह रही कि रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के दौरे में मामा बनकर आए जयराम 80 करोड़ का तोहफा भी क्षेत्र की जनता को देकर गए। जनजातीय क्षेत्र के दर्जे में केंद्र द्वारा लिए गए फैसले के बाद भाजपा ने इसे कैश करने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

आम आदमी पार्टी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ की ऊंचाइयों को केवल मामा और भांजा ही चढ सकते हैं। मजे की बात तो यह है कि हरिपुरधार की जनसभा में मुख्यमंत्री के भाषण में भी काफी बदलाव नजर आया। मुख्यमंत्री ने अपना भाषण शुरू करते ही जैसे ही खुद को सिरमौर का मामा घोषित किया तो सभा में बैठे लोग सकते में पड़ गए। बता दें कि कुछ समय पहले जयराम ठाकुर जोइया मामा कहने पर सिरमौर से काफी खफा भी हुए थे। मामा का यह नया अंदाज ना केवल भांजे को भाया बल्कि भांजियों ने भी रिश्ते का जोरदार स्वागत किया। अब यदि बात की जाए रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों की तो अभी भी इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा में गुटबाजी प्रखर नजर आई।

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मेला आयोजन समिति के सदस्य हरिपुरधार से ताल्लुक रखते हैं। जहां पर सहीराम गुट ने भाजपा के प्रत्याशी रहे बलबीर चौहान को कोई खास तवज्जो नहीं दी। बता दे कि विधानसभा क्षेत्र से ना केवल बलबीर चौहान टिकट की उम्मीद पाले बैठे हैं बल्कि पूर्व में विधायक रहे रूप सिंह के अलावा नारायण सिंह और हरिपुरधार क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले बलदेव भी टिकट की इच्छा पाले बैठे हैं। हरिपुरधार क्षेत्र का गुट इस बार नए चेहरे को मैदान में उतारना चाह रहा है। हालांकि, बलबीर चौहान क्षेत्र के विकास में सरकार के समक्ष पैरवी करने में पहले स्थान पर हैं।

मगर यहां सवाल यह उठता है कि भाजपा हाईकमान के द्वारा दो बार चुनाव हारने वालों को टिकट दिए जाने का फैसला भी लिया गया है। ऐसे में बलबीर चौहान का झुकाव अपने समर्थकों सहित रूप सिंह की ओर हो सकता है। गिरी की 154 पंचायतों में करीब 28 ऐसी पंचायतें हैं जिनमें कांग्रेसी विधायक विनय कुमार का पूरा वर्चस्व है। ऐसे में जहां भाजपा सरकार ने इस विधानसभा क्षेत्र में तमाम की गई घोषणा को अमली जामा पहना कर जनता के बीच जगह बनाई है। तो वही इस विधानसभा क्षेत्र के भावी प्रत्याशी को लेकर संगठन को कड़ी कसरत भी करनी पड़ेगी।

देखने वाली बात तो यह है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में हाटी क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र दर्जा दिलाने की पैरवी में मुख्यमंत्री के अलावा शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर और सांसद सुरेश कश्यप का नाम ही प्रखर था। मगर इस मुद्दे पर विधानसभा क्षेत्र के किसी भी बड़े चेहरे का नाम नहीं था। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि ना तो इस विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप और ना ही बलदेव तोमर मैदान में उतरेंगे। तो फिर आखिर ऐसा कौन सा चेहरा होगा जो हाटी के मुद्दे पर कांग्रेस के गढ़ में जिताऊ साबित होगा। देखना यह भी होगा कि मामा कहने के बाद भले ही भाजपा का कोई भी चेहरा हो मुख्यमंत्री तो हाटियों का ही होगा।

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