बेटी और जमाई को विशेष रूप से दिया जाता है निमंत्रण, माथे पर चावल और जौं लगाकर होती है पूजा
HNN/नाहन
देशभर में विजय दशमी यानी दशहरा पर्व की धूम रही। जिला सिरमौर में भी ये पर्व पूरी श्रद्घा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस बीच नाहन शहर के कैंट क्षेत्र (छावनी) में दशहरा पर्व कुछ अलग ही अंदाज में मनाया गया। इस क्षेत्र में रह रहे गोरखा समुदाय के लिए ये एक दिन का पर्व नहीं बल्कि पूरे पांच दिन इस उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। दरअसल, रिसायत काल से यहां बसे गोरखा समुदाय के लिए ये त्योहार दीपावली से कम नहीं है।
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गोरखा समुदाय ङ्क्षहदू परंपराओं में श्रद्धाभाव रखता है। पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व के दौरान रिश्तेदार एक-दूसरे के घर में आते हैं। खासकर ससुराल पक्ष की ओर से अपने जमाइयों को घर पर आमंत्रित किया जाता है, जहां इन दिनों उनकी खूब खातिरदारी होती है। इस पर्व पर गोरखा समुदाय के परिवारों के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा अपने परिजनों व रिश्तेदारों के माथे पर दही व चावल मिश्रित टीका लगाया जाता है। मान्यता है कि बड़े बुजुर्गों द्वारा टीका लगाने की परंपरा आने वाली पीढ़ी को रिश्ते के सम्मान को कायम रखने का संदेश देती है।
वहीं, पहले नवरात्र पर बीजी गई खेत्री (जौ) को पुरुषों के कान में रखा जाता है। महिलाएं खेत्री को अपने बालों में लगाती हैं। पांचवें दिन खेत्री को जलप्रवाह करने के साथ ही पर्व संपन्न होता है। गोरखा समुदाय में पांच दिन तक चलने वाला दशहरा इसलिए भी खास है, क्योंकि साल भर इंतजार के बाद परिवार व रिश्तेदार एक दूसरे को अपने घर आने का निमंत्रण देते हैं, जिसमें कुटुंब के छोटे और बड़ों का मिलन होता है।
गोरखा समुदाय से संबंध रखने वाले अनिल कुमार और निर्मला देवी ने बताया कि त्रेता युग से ये परंपरा गोरखा लोगों में चली आ रही है। भगवान राम ने अहंकारी रावण पर विजय प्राप्त की तो इसे असत्य पर सत्य की विजय कहा। तभी से हिंदू समाज के अभिन्न अंग गोरखा समुदाय विजय दशमी का त्योहार अपना विशेष महत्व रखता है। ये उत्सव पांच दिन चलेगा।
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