HNN/सोलन
उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा की अध्यक्षता में जिला सांस्कृतिक परिषद की बैठक आज आयोजित की गई। मनमोहन शर्मा ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिला प्रशासन स्थानीय कला को विकसित करने के लिए सदैव प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक परिषद का मुख्य उद्देश्य साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों तथा संस्कृत, हिन्दी, उर्दू भाषा और पहाड़ी बोली के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में कार्य करना है।
सांस्कृतिक परिषद संस्कृति के संरक्षण के लिए नियमित अंतराल पर कार्यक्रमों का आयोजन करवाती है। इन आयोजनों से प्रतिभागियों के मध्य परस्पर संवाद और संबंधों की प्रक्रिया विकसित होती है और स्थानीय कला, साहित्य और संवाद शैली को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतिभागियों को बेहतर मंच मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और उनके व्यक्तिगत जीवन का विकास भी सुनिश्चित होता है।
उपायुक्त ने कहा कि जिला सांस्कृतिक परिषद अपने विभिन्न कार्यों को गति देने के लिए सतत् प्रत्यनशील है। सोलन जिला की प्रतिभाओं तथा विशिष्टताओं को उभारने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने जिला भाषा अधिकारी को निर्देश दिए कि वह जिला में ठोडा को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत ठोडा दलों को तलाशें ताकि उन्हें ठोडा किट उपलब्ध करवा कर उनका संरक्षण सुनिश्चित बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जिला सोलन में करयाला पर एक कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी ताकि लुप्त हो रही प्राचीन परंपरा का संरक्षण किया जा सके। उपायुक्त ने सोलन की जनता से आग्रह किया कि प्राचीन पुस्तकें जिसमें सोलन जिला से सम्बन्धित लेख छपे हों अथवा कोई भी प्राचीन सांस्कृतिक महत्व की वस्तु, कला केन्द्र कोठों में भेंट की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं एतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन वस्तुओं, दस्तावेज़ों इत्यादि को संग्रहालय में संग्रहित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भेंट कर्ता का नाम संग्रहित वस्तुओं के साथ अंकित किया जाएगा। मनमोहन शर्मा ने कहा कि कला केन्द्र कोठों में स्थापित होने वाली कला दीर्घा को स्थानीय कलाकारों को कैनवास उपलब्ध करवा कर विकसित किया जाएगा तथा संग्रहालय में स्वतंत्रता सेनानियों के छायाचित्र, पारम्परिक वेशभूषा के छायाचित्र, वास्तविक वेशभूषा, प्राचीन सिक्के व पुस्तकें एवं पारम्परिक वाद्य यंत्र रखे जाएंगे।
कला केंद्र विकसित करने के पश्चात फीस निर्धारित करने बारे भविष्य में विचार किया जाएगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि जिला सोलन से सम्बन्धित प्राचीन पुस्तकों को पुनः प्रकाशित किया जाएगा। इसके लिए परिषद के सदस्यों के बहुमूल्य सुझाव अपेक्षित रहेंगे। सोलन जिला के प्रसिद्ध लोक नृत्य पड़ुआ और करयाला के संरक्षण पर भी विशेष बल दिया जाएगा।