हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शिमला स्थित अपने आधिकारिक आवास ‘ओक ओवर’ से छह अत्याधुनिक मोबाइल फोरेंसिक वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन वैन को राज्य के विभिन्न फोरेंसिक इकाइयों में तैनात किया जाएगा।
शिमला
राज्यभर में तैनाती और उद्देश्य
पहले चरण में ये वैन बद्दी, नूरपुर और बिलासपुर की जिला फोरेंसिक इकाइयों, जुन्गा स्थित राज्य फोरेंसिक लैब तथा धर्मशाला और मंडी स्थित क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में तैनात होंगी। इनका उद्देश्य अपराध स्थलों पर तुरंत और दोषमुक्त साक्ष्य संग्रह सुनिश्चित करना है।
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एसओपी और नई पहल
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फोरेंसिक साक्ष्य संग्रह और संरक्षण हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी लॉन्च की और फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए जैकेट का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को तेज करेगी और अपराधियों को सजा दिलाने में मददगार साबित होगी।
वैन की विशेषताएं
प्रत्येक वैन की कीमत 65 लाख रुपये है और इन्हें फिंगर प्रिंट एवं फुटप्रिंट किट्स, डीएनए सैंपलिंग किट्स, विस्फोटक पहचान प्रणाली, साइबर फोरेंसिक सॉफ्टवेयर, हाई-रेजोल्यूशन कैमरा, सीसीटीवी सिस्टम, पोर्टेबल पावर जनरेटर और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है।
फोरेंसिक जांच में नई दिशा
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये मोबाइल वैन अपराध स्थलों पर साक्ष्य को तुरंत संरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रसंस्कृत करने में सक्षम होंगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अपराध साबित करने की प्रक्रिया और अधिक सटीक होगी।
केंद्रीय एजेंसियों को भी सहयोग
उन्होंने कहा कि हिमाचल का फोरेंसिक निदेशालय अब सीबीआई, एनआईए और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों की भी मदद कर रहा है। यह पहल न्याय प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाएगी।
वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित
इस मौके पर विधायक संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, डीजीपी अशोक तिवारी, फोरेंसिक निदेशालय की निदेशक डॉ. मीनाक्षी महाजन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
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