हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन/शिलाई (सिरमौर)।
हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला, विशेष रूप से शिलाई विधानसभा क्षेत्र, एक बार फिर अपने प्रगतिशील और अनूठे सामाजिक संदेश के कारण देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ महीने पहले ‘हाटी’ समुदाय की ‘जोड़ीदार प्रथा’ (बहुपति विवाह) के तहत दो सगे भाइयों के एक ही युवती से विवाह ने सुर्खियां बटोरी थीं, वहीं अब इसी क्षेत्र में बिना पंडित और बिना वैदिक मंत्रों के संविधान को साक्षी मानकर एक अनोखा विवाह संपन्न हुआ है।
यह अनोखी शादी सिरमौर जिले की नैनीधार पंचायत के कलोग गांव में केदार सिंह के परिवार द्वारा आयोजित की गई। इस विवाह समारोह ने धार्मिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए संविधान और मानवता के मूल्यों को प्राथमिकता दी।
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संविधान निर्माता की तस्वीर वाले कार्ड पर निमंत्रण:
केदार सिंह के सुपुत्र सुनील कुमार का विवाह रोनहाट उप तहसील के लानी बोराड के कटाही की रितु देवी के साथ हुआ, जबकि उनके दूसरे सुपुत्र विनोद कुमार का विवाह शिलाई तहसील के नाया की रीना वर्मा के साथ संपन्न हुआ। इस विवाह की सबसे खास बात यह रही कि आमंत्रण पत्र (शादी का कार्ड) पर भी एक तरफ महात्मा बुद्ध और दूसरी तरफ संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर की तस्वीर दर्शाई गई थी, जो परिवार द्वारा अपनाए गए बौद्ध धर्म और सामाजिक समानता के संदेश को स्पष्ट करता है।
विवाह समारोह में नवविवाहित जोड़ों ने सात फेरों की जगह, संविधान को साक्षी मानकर एक-दूसरे को वर माला पहनाई और अपने नए जीवन की शपथ ली।
नाहन डाइट के लेक्चरर एवं स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष डॉ. आईडी राही ने, जो इस समारोह के साक्षी बने, बताया कि शादी समारोह में संविधान की किताब को साक्षी माना गया। हालांकि, बाकी परंपराएं जैसे मामा का स्वागत और मेहंदी रस्म आम शादी की तरह ही निभाई गईं, लेकिन सात फेरे नहीं लिए गए। रविवार शाम दोनों भाई बारात लेकर घर पहुंचे।
शिलाई विधानसभा क्षेत्र में कुछ समय पहले बहुपति विवाह की परंपरा ने इसे राष्ट्रीय पटल पर लाया था, और अब कलोग गांव की यह शादी, जो सामाजिक समानता और आधुनिक सोच को दर्शाती है, ने इस क्षेत्र की अनूठी पहचान को एक बार फिर मजबूत किया है।
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