अदरक के वाजिब दाम न मिलने से सिरमौर के किसान मायूस

HNN/ संगड़ाह

अदरक उत्पादन के लिए मशहूर सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के किसान इस बार इस प्रमुख नगदी फसल के वाजिब दाम न मिलने से मायूस है। जिला के कृषि विकास खंड संगड़ाह, शिलाई, पच्छाद व राजगढ़ के काफी हिस्सों में आज भी अदरक किसान परिवारों की आय का मुख्य साधन है। पिछले चार दशक मे अदरक बार-बार सड़न रोग की चपेट में आने से भी किसानों को काफी नुक्सान हुआ और इस साल दाम न के बराबर होने से किसानों की कमर टूट चुकी है।‌

गौरतलब है कि, सिरमौर में करीब 1800 हेक्टेयर भूमि पर अदरक उत्पादन होता है। कोरोना काल के बाद पिछले दो वर्षों से अदरक के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसान बाबूराम, रामस्वरूप, तेजवीर, ज्ञान चंद, ललित, रामलाल, रामभज व जयपाल आदि ने बताया कि, इस वर्ष हालांकि फसल अच्छी हुई है, मगर दाम न के बराबर है। पुराना अदरक तीन से पांच रुपये तथा नया अदरक 10 से 15 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है।

किसानों का कहना है कि, इतने कम दामों में तो मेहनताना, मजदूरी व भाड़ा भी पूरा नही हो रहा है और दवाइयों खाद, गोबर, बीज का खर्च जेब से भरना पड़ रहा है। हर साल आम तौर पर फरवरी व मार्च माह मे अदरक के दाम 40 रूपये किलो तक पहुंच जाते है, इसलिए किसान फसल का भंडारण खाची कहलाने वाले पारम्परिक स्टोर मे करने लगे हैं।

20 फुट तक गहरे भूमिगत खाची स्टोर मे यह फसल 4 से 5 माह तक सुरक्षित रह सकती है तथा दाम बढ़ने के इंतजार में किसान ऐसा करते हैं। अदरक के स्थानीय खरीदार अथवा आढ़ती रविंद्र चौहान, राजेश, बीएन शर्मा, तपेंद्र सिंह, जेपी पुंडीर, व अशोक पुंडीर आदि का कहना है कि, इस बार बैंगलोर के अदरक की मांग ज्यादा होना तथा सिरमौर मे इस फसल का पर्याप्त उत्पादन कीमत कम होने के मुख्य कारण समझे जा रहे है।


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