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प्रतिबंधित होने के बावजूद भी दुकानों पर धड़ल्ले से बिक रहा तंबाकू-गुटखा

HNN/ शिमला

प्रतिबंधित होने के बावजूद भी तंबाकू, गुटखा और पान मसाला दुकानों पर खुलेआम बिक रहा है। इस बारे पुलिस, प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग अर्थात किसी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। गौर रहे कि करीब 12 वर्षं पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा तंबाकू गुटखा इत्यादि पर प्रतिबंध लगाया गया था ताकि युवा पीढ़ी को तंबाकू के नशे की लत से बचाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक सरकार द्वारा तंबाकू गुटखा को प्रतिबंतिधत करने बारे नियमों में कोई प्रावधान नहीं किया गया है ताकि इसका कार्यान्वयन सही परिप्रेक्ष्य हो सके।

प्रतिबंधित नियमों के अनुसार किसी भी विभाग को जुर्माना करने इत्यादि की शक्तियां नहीं दी गई है जिस कारण सरकार द्वारा तंबाकू गुटखा पर लगाया प्रतिबंध फील्ड में कामयाब नहीं हो पाया है। कार्यान्वित करने वाला स्वास्थ्य विभाग को सरकार ने शक्तिविहीन बनाया गया है। बता दें कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की करियाना की दुकानों पर प्रतिबंध के आड़ में कारोबारी दो गुने दाम पर तंबाकू गुटखा बेच रहे है। पुलिस विभाग द्वारा चिट्टे, शराब, अफीम और चरस बारे बड़ी मुस्तैदी के साथ धड़पकड़ की जा रही है परंतु तंबाकू, गुटखा और पान मसाला बारे सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पान मसाला की दुकानों पर तंबाकू व गुटखा के पाउच को छिपाकर बेचा जाता है। व्यक्ति की मांग पर इसे दुगने रेट पर बेचा जाता है और तंबाकू का सेवन व्यक्ति प्रिंट रेट से अधिक दाम देने में कोई गुरेज नहीं करते हैं। तंबाकू और गुटखा का सेवन सबसे ज्यादा कामगार व बेरोजगार युवाओं द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीण परिेवेश में 70 प्रतिशत व्यक्तियों की जेब में तंबाकू गुटखा हर समय उपलब्ध रहता है। शैक्षणिक संस्थानों व कार्यालयों के आसपास तंबाकू के खाली पाउच देखने को मिलते हैं। सरकार द्वारा हर वर्ष तंबाकू गुटका के दुष्प्रभाव बारे व्यापक प्रचार किया जाता है।

बावजूद इसके तंबाकू और गुटका धड़ल्ले से बिक रहा है । कामगार दिनभर तंबाकू गुंटका का सेवन करके अपना काम शुरू करते हैं। जबकि तंबाकू गुटका का सेवन शराब व चरस से नशा से अधिक हानिकारक है । बुंद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि सरकार द्वारा तंबाकू गुटखा पर लगाए प्रतिबंध नाकाम साबित हो रहे हैं। तंबाकू गुटखा के इस्तेमाल से युवा पीढ़ी सर्वाधिक प्रभावित हो रही है और इस बारे किसी स्तर पर भी कोई चैकिंग नहीं की जा रही है।

सरकार द्वारा भी इस बारे कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मात्र कागजों में प्रतिबंध लगाने से कारोबारी का धंधा अच्छी तरह फलफूल रहा है। लोगों की मांग है कि तंबाकू गुटखा पर लगाए गए प्रतिबंध को सही परिप्रेक्ष्य में लागू किया जाए ताकि युवाओं का भविष्य धूमिल होने से बच सके। बीएमओ मशोबरा डाॅ राकेश प्रताप ने बताया कि विभाग द्वारा तंबाकू गुटखा के दुष्प्रभाव बारे लोगों को समय समय जागरूक किया जाता है। उन्होने स्पष्ट किया कि तंबाकू गुटखा की दुकानों पर छापामारी अथवा जुर्माना करने की विभाग के पास कोई शक्तियां निहीत नहीं है ।


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