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पालमपुर / फ्लाइंग ऑफिसर बने प्रथम परमार , परिवार की पांचवीं पीढ़ी देश सेवा में

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 22 दिसंबर 2024 at 6:44 pm

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Himachalnow / पालमपुर

धर्मशाला के पास पालमपुर के गांव ननाओं का नाम उस समय पूरे क्षेत्र में गर्व से गूंज उठा, जब गांव के बेटे प्रथम परमार भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बने। 22 दिसंबर 2024 को ननाओं गांव में पूरे परमार परिवार और ग्रामीणों ने उनके सम्मान में भव्य समारोह का आयोजन किया।

समारोह का शुभारंभ कुल देव अक्षैणा महादेव, कुल देवी सच्चियात, और माता शीतला के दर्शन और आशीर्वाद से हुआ। इसके बाद बैंड-बाजों के साथ प्रथम परमार अपने परिवार सहित गांव ननाओं पहुंचे। गांव में बुजुर्गों और परिजनों ने फूल मालाओं और आशीर्वाद के साथ उनका स्वागत किया। दादा सुबेदार राय सिंह, उर्मिला देवी, प्रिंसीपल सर्वजीत सिंह, और भूपिंद्र सिंह ने विशेष रूप से अभिनंदन किया।

गांव के सामुदायिक भवन में आयोजित स्वागत समारोह में पुष्पवर्षा के साथ ग्रामीणों ने प्रथम परमार का अभिनंदन किया। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक श्री विपिन परमार, भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज, पूर्व विधायक देहरा श्री होशियार सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती पुनिता चंबियाल, और कैप्टन संजय पराशर (CEO, Marine India Ltd.) ने भाग लिया। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें फूल मालाएं पहनाई और शुभकामनाएं दीं।

समारोह में महाकाली ग्रुप मंडी ने माता की चौकी में अपने मधुर स्वरों से सभी का मन मोह लिया। चौकी के उपरांत सभी मेहमानों के लिए भोज का आयोजन किया गया। फ्लाइंग ऑफिसर प्रथम परमार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय रे कारखाना, कपूरथला और कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह AFPI, मोहाली में चयनित होकर कठोर प्रशिक्षण लिया। उनकी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उन्हें एनडीए खड़कवासला में प्रवेश दिलाया, जहां तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद उन्हें फाइटर पायलट बनने के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय वायुसेना अकादमी भेजा गया। यहां सफल प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में नियुक्ति मिली।

प्रथम परमार का सैन्य सेवाओं में चयन उनके परिवार की पांचवीं पीढ़ी को देश सेवा से जोड़ता है। उनके परदादा कैप्टन दयाल सिंह परमार द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे। दादा सुबेदार राय सिंह 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों और श्रीलंका शांति सेना में तैनात थे। उनके चाचा ने कारगिल युद्ध में देश के लिए अपनी सेवाएं दीं।

कार्यक्रम को सफल बनाने में परमार परिवार और गांववासियों का विशेष योगदान रहा। श्री पदम परमार, अजय परमार, और सुबेदार-मेजर चंद्रभान ने आयोजन की हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। कपूरथला से विशेष रूप से पधारे सीनियर सेक्शन इंजीनियर श्री राकेश वशिष्ठ का भी इस आयोजन में विशेष योगदान रहा।

फ्लाइंग ऑफिसर प्रथम परमार ने न केवल अपने गांव ननाओं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश को गौरवान्वित किया है। उनकी सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनके परिवार की देश सेवा की परंपरा को एक नई ऊंचाई प्रदान करती है।

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