साढ़े 4 सालों में नहीं लगा एक भी फ्रूट बेस उद्योग और ना मिला…
HNN / नाहन
प्रदेश सरकार में दो-दो बड़े दिग्गजों के बावजूद बास्केट ऑफ फ्रूट कहलाने वाला पच्छाद आज भी अनाथ नजर आ रहा है। बड़ी बात तो यह है कि इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी भाजपा से ही है। बीते साढ़े 4 वर्षों में जहां फल विधायन को लेकर बड़े-बड़े वायदे भी किए गए थे, मगर किसी भी उद्योगपति ने यहां कोई भी उद्योग स्थापित नहीं किया है। दो उद्योग अगर हैं तो वह विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी के हैं।
हैरानी तो इस बात की भी है कि इस विधानसभा क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी पीच वैली भी है। इसके साथ-साथ दाडू(जंगली अनार) नाशपाती, सेब, खुमानी, पलम के अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यहाँ की हरड़ भी बड़ी पहचान रखती है। मगर बलदेव भंडारी हरड़ को लाइसेंस प्रक्रिया से मुक्त नहीं करवा पाए। आपको यहाँ यह भी बता दें कि वह राष्ट्रीय बागवानी मिशन में कद्दावर चेहरा है। सब्जी उत्पादन में भी प्रदेश में विशेष स्थान यह विधानसभा क्षेत्र में आता है।
बावजूद इसके जहां सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर इन्वेस्टर मीट भी किए, मगर इस क्षेत्र के लिए एक भी इन्वेस्टर को आकर्षित नहीं करवा पाए। क्षेत्र का किसान हर सीजन पर एक बड़ी उम्मीद के साथ फसल उगाता है, मगर ऐन वक्त पर मार्केट में भी वह औंधे मुंह गिर जाता है। हैरानी तो इस बात की भी है कि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी इसी विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं मगर क्षेत्र के लिए एक भी बड़ा कोल्ड स्टोर नहीं लगा पाए हैं। ऐसे में यदि सरकार के यहां एक बड़ा कोल्ड स्टोर भी लगवा देती तो यहां का बागवान और किसान बाजार के हिसाब से अपने उत्पादों को बेच पाता।
इस नाकामी में अगर उद्योग विभाग को भी शामिल किया जाए तो गलत नहीं होगा। इंडस्ट्री डिपार्टमेंट यदि इस विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के साथ फल विधायन संबंधित उद्योगों के लिए इन्वेस्टर को आकर्षित करता तो निश्चित रूप से आज इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के अपार संसाधन बन जाते। हालात यह है कि इस विधानसभा क्षेत्र का नौजवान रोजगार की तलाश में इंडस्ट्रियल एरिया में नौकरी करने पर मजबूर है। जिसका सबसे बड़ा नुक्सान उसकी खेती को होता है। ऐसे में सरकार यहां पर उद्योग के साथ-साथ किसानों को और अधिक संशोधित किस्मों के फल लगाने के लिए प्रेरित करती तो युवाओं को भी घर बैठे रोजगार मिलता।
यही नहीं प्रदेश की जीडीपी में भी इस विधानसभा क्षेत्र का अहम योगदान रहता। हैरानी की बात तो यह है कि इस विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले सांसद व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भाजपा सरकार में सबसे कद्दावर चेहरा है। बावजूद इसके विकास के क्षेत्र में यह विधानसभा क्षेत्र अभी भी हाशिए पर है। सरकार में ऊंचा कद रखने के बावजूद भी यहां कृषि विज्ञान केंद्र तक नहीं खुलवा पाए हैं। जबकि बडू साहिब एग्रीकल्चर कॉलेज के द्वारा निजी स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्र की मंजूरी के लिए आवेदन भी किए थे। बावजूद इसके संभावनाओं के बावजूद भी विकल्प नहीं तराशे गए।
क्षेत्र का युवा इस बड़ी अनदेखी को लेकर काफी नाराज भी है मगर फिर भी सरकार से उम्मीद पाले बैठा है। बुद्धिजीवी युवा वर्ग का कहना है कि सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान सेब के ऊपर रहता है, मगर एशिया में धाक जमाने वाले राजगढ़ के आडू को कहीं भी स्थान नहीं दिया गया है। यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है कि बागथन में हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के द्वारा फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी लगवाया गया था मगर यह भी अनदेखी के चलते बंद पड़ा है। यह विधानसभा क्षेत्र श्वेत क्रांति में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
मगर जहां इस क्षेत्र में उपनिदेशक पशुपालन विभाग का कार्यालय था उसे भी पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में पांवटा साहिब ले गए थे। क्षेत्र में दूध अच्छी खासी मात्रा में होता है जिसको मिल्कफेड के द्वारा संग्रहित कर सोलन में बेचा जाता है। ऐसे में यदि सरकार में ऊंचा कद रखने वाले नेता लोगों के आर्थिक स्तर को भी ऊंचा करने का प्रयास करते तो निश्चित ही पच्छाद की विकास पट्टिका पर भाजपा सरकार का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा होता।