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तीसरी बार वैश्य वर्ग से बनाया गया जिला अध्यक्ष 2027 में करेगा कांग्रेस की राहें आसान

Shailesh Saini | 5 जनवरी 2025 at 4:30 pm

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प्रदेश अध्यक्ष खुद भुगत चुके हैं अपने विधानसभा क्षेत्र से इसका खामियाजा, अब डुबांएगे क्या औरों की भी लुटिया

हिमाचल नाऊ न्यूज़ नाहन

जिला सिरमौर से तीसरी बार बनिया बिरादरी से बने नए अध्यक्ष को लेकर 2027 के लिए कांग्रेस को अपना किला और ज्यादा मजबूत नजर आने लगा पड़ा है।राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा बड़ी खास हो रही है कि जिस बिरादरी का पूरे जिला में 5000 से भी अधिक वोट बैंक नहीं है उसे एक बार फिर किस आधार पर जिला की कमान दी गई है।

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बात यदि पूर्व अध्यक्ष विनय गुप्ता की की जाए तो वे संगठन बोर्न नेता है पार्टी के प्रति उन्होंने अपनी पूरी उम्र और अपने पूरे करियर को लगाया है। विनय गुप्ता को संगठन चलाने का भी लंबा तजुर्बा रहा है। फिर भी नाहन सीट बीजेपी हार गई थी।

जिला का मीडिया प्रभारी भी वैश्य समाज से ही बनाया गया है जो की पूरी तरह से मीडिया के साथ लाइजनिंग बना पाने में नाकाम रहा है। काला आम की एक सीट जिला परिषद में महिला एससी कोटे में रिजर्व थी मगर वहां भी जिस बिरादरी में वह महिला शादी होकर आई थी वह परिवार वैश्य समुदाय से संबंध रखता था उसे जिला परिषद से चुनाव लड़वाया गया।

यह पूरा का पूरा विषय इस समय जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है।बनिस्पत विनय गुप्ता बनाए गए नए जिला अध्यक्ष किसी भी मायनो पर खरे उतरते हुए नजर नहीं आते।बिरादरी को बार-बार अधिमान दिए जाने का खामियाजा पूर्व विधायक भुगत भी चुके हैं।

चाहे जिला परिषद का चुनाव रहा हो या फिर पंचायत का बिरादरी को बराबर अधिमान दिया गया है। वही यह भी जानना जरूरी है कि जिला में सबसे ज्यादा वोट बैंक जो हार जीत सुनिश्चित करता है वह राजपूत और कोली बिरादरी का वोट बैंक है। ब्राह्मण वर्ग वैसे भी लंबे समय से कथित संगठन से नाराज चल रहा है। श्री रेणुका जी विधानसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा चुनौती रहा है।

ऐसे में ब्राह्मण कोली और राजपूत वर्ग की अनदेखी कहीं ना कहीं 2027 में संभावित प्रत्याशियों के लिए गले की फांस बनेगा। भाजपा के सामने जिला में और भी बड़े अच्छे विकल्प थे बावजूद इसके उन विकल्पों को कहीं भी ठहरने नहीं दिया गया।

इस बात की पुष्टि इससे भी हो जाती है क्योंकि चुनाव कमेटी के आगे केवल एक ही नॉमिनेशन फाइल करवाया गया। सवाल तो यह उठता है कि क्या जिला में इस बिरादरी के अलावा कोई और बिरादरी संगठन चलाने में काबिल ही नहीं है।राजनीतिक पंडित कूटनीतिक नजरिया से भी देख रहे हैं।

नाहन में भाजपा प्रत्याशी की हुई हार के लिए कुछ खास नेताओं को अपरोक्ष रूप से जिम्मेदार माना जा रहा था। अब जिस विधानसभा क्षेत्र से जिला अध्यक्ष बनाया गया है उसे जिला के कुछ भाजपा नेता खुद भी हैरान और परेशान है कि इस वरदान माना जाए या अभिशाप।

अब जहां भाजपा के अपने ही खेमों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है तो निश्चित ही इसका असर आने वाले चुनाव में क्या होगा यह तो समझा जा सकता है। भाजपा के लिए जिला में दूसरा कमजोर वोट बैंक सिख वोट बैंक माना जाता है। मगर बीते चुनाव में पांवटा साहिब से चुनाव जीते सुखराम चौधरी को इस बिरादरी ने जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

अगर पांवटा साहिब से ही किसी को जिला की सरदारी दी जानी चाहिए थी तो क्या सिख वोट बैंक को नहीं साधा जा सकता यह भी सोचने का विषय बना हुआ है। बरहाल यह तो तय है कि जिला अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश के अन्य संगठन आत्मक 17 जिलों पर भी पढ़ना निश्चित है जिला में भाजपा की आने वाले समय में क्या स्थिति रहेगी यह भी देखना अब बाकी है।

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