महायज्ञ के साथ मंदिर पर निभाई गयी कुरूड़ चढ़ाए जाने की परंपरा
HNN/संगड़ाह
हिमाचल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल शिरगुल देवता मंदिर चूड़धार में आज शुक्रवार को 5 दशक बाद सबसे बड़े धार्मिक अनुष्ठान शांत महायज्ञ के साथ मंदिर पर कुरूड़ चढ़ाए जाने की परंपरा निभाई गई।इससे पहले हालांकि बीते कल पवित्र घाटी में देव समागम के लिए भी आस्था का सैलाब उमड़ा । तो वहीं आज शुक्रवार को अपार श्रद्धा का फैलाब उमड़ा।
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मंदिर में केवल डेढ़ हजार के करीब लोगों के ठहरने की व्यवस्था होने के चलते देव पालकियों के साथ आए श्रद्धालुओं ने गुरुवार को चौपाल उपमंडल के कालाबाग व संगड़ाह के चाबधार तथा तीसरी आदि स्थानों पर खुले आसमान के नीचे देवता का जागरण के दरबार सजे। इन्हीं स्थानों पर देवताओं की पालकियों ने रात बिताई और शुक्रवार को शांत पर्व में शामिल हुए।
शिमला जिला के चौपाल के तहसीलदार रेखा शर्मा व बीडीओ विनित ठाकुर तथा सिरमौर के उपमंडल संगड़ाह से एसडीएम सुनील कायथ व डीएसपी मुकेश डडवाल लगातार व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं। करीब 2 दशक में शिरगुल महाराज का नया मंदिर तैयार होने पर यह परम्परा निभाई गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब दोबारा मंदिर बनने पर ही दशकों बाद शांत यज्ञ आयोजन होगा।
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