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Exclusive Report By: Shailesh Saini

वैश्विक व्यापार,के साथ साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी मिलेगा बड़ा मंच

आत्मनिर्भर बनकर अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बना ग्राम पंचायत हरिपुर का आस्था महिला स्वयं सहायता समूह

Published ByPARUL Date Nov 8, 2024

अचार, चंबा चुख, पापड़ तथा बड़ियां इत्यादि बनाकर प्रत्येक महिला कमा रही  15 से 20 हजार रुपए सालाना।

Himachalnow/चंबा 

विकास खंड चंबा की ग्राम पंचायत हरिपुर में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत आस्था स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं अचार, चंबा चुख, पापड़ तथा बड़ियां इत्यादि बनाकर प्रत्येक महिला सालाना 15 से 20 हजार रुपए की अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं जिससे उनके पारिवारों को रोजमर्रा के जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करना आसान हो गया है। अब समूह से जुड़ी महिलाएं न केवल स्वयं व्यावसायिक गतिविधियां कर रही हैं बल्कि साथ लगते गांवों की अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित व प्रशिक्षित कर रही हैं जिसके परिणाम स्वरूप ग्राम पंचायत हरिपुर में विभिन्न 9 महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं एकता महिला ग्राम संगठन के अंतर्गत विभिन्न उत्पादों को बनाकर उन्हें स्थानीय बाजार के अलावा प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों में बेचकर हजारों रुपए की आय अर्जित कर रही हैं। इन समूहों की कुछ महिलाएं दुग्ध उत्पादन तथा ऑर्गेनिक सब्जी उत्पादन के द्वारा भी अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं।

 ग्राम पंचायत हरिपुर के गांव भंडारका की आस्था स्वयं सहायता समूह की सचिव रीता देवी ने बताया कि उनका समूह वर्ष 2014 में पंजीकृत होने के पश्चात वर्ष 2018 तक  वाटरशेड के अंतर्गत कार्य कर रहा था। वर्ष 2018 में समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्य करना आरंभ किया जिसके तहत वर्ष 2019 में समूह की महिला सदस्यों ने आर-सेटी बालू में अचार, चंबा चुख तथा अन्य खाद्य उत्पादों को बनाने वारे प्रशिक्षण प्राप्त किया।  प्रशिक्षण के पश्चात समूह की महिलाओं ने इन उत्पादों का बड़े स्तर पर उत्पादन व विक्री करना आरंभ किया। रीता देवी ने बताया कि वर्तमान में ग्राम पंचायत हरिपुर में आस्था स्वयं सहायता समूह के अलावा चामुंडा, आशा, राघव जागृति, शक्ति, प्रार्थना, पूजा, लक्ष्मी नारायण तथा किरण नमक स्वयं सहायता समूहों सहित कुल 9 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 60 महिलाएं एकता महिला ग्राम संगठन के अंतर्गत अलग-अलग व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम दे रही हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मेलों तथा प्रदर्शनियों के अलावा हिम ईरा शॉपस में भी बेचे जाते हैं, इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के पर्यटक स्थलों तथा राज्य के बाहर आयोजित विभिन्न समारोहों व कार्यक्रमों में भी महिलाओं के उत्पाद लोकप्रिय हो रहे हैं।

रीता देवी ने बताया कि उनके ग्राम संगठन से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं राजकीय बहुतकनीकी संस्थान चंबा (स्थित सरोल) में हिम ईरा कैंटीन का संचालन भी सफलतापूर्वक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) द्वारा प्रदान किए जा रहे मंच व मार्गदर्शन की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं सशक्त एवं आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्वयं सहायताओं समूहों से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि उनके बनाए हुए उत्पादों को चंबा शहर में निरंतर बिक्री के लिए यदि स्थानीय प्रशासन द्वारा उन्हें कोई निशुल्क सेल आऊटलेट उपलब्ध करवाई जाए तो उनके कारोबार में इजाफा हो सकता है। इसके अलावा उत्पादन की लागत को कम करने तथा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए अनुदान पर बड़े स्तर की मशीनरी व प्लांट की  आवश्यकता है ताकि उनके उत्पाद अन्य ब्रांडेड उत्पादों से गुणवत्ता व कीमतों में मुकाबला कर सकें। 

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की विकासखंड चंबा की मिशन एग्जीक्यूटिव निशा ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के मकसद से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में  महिलाओं को विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों को करने के लिए प्रेरित व प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। उन्होंने बताया कि इसके लिए महिलाओं को समय-समय पर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण भी प्रदान किए जाते हैं तथा उन्हें वित्तीय सहायताएं भी दी जाती हैं ताकि भी मशीनरी व उपकरण इत्यादि खरीद कर खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह को 40 हजार रुपए दिए जाते हैं जिसमें 15 हजार रुपए  मशीनरी के लिए जबकि शेष राशि कच्चे माल को खरीदने के लिए दी जाती है। मिशन एग्जीक्यूटिव निशा ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों के द्वारा तैयार किए गए खाद्य उत्पादों में ज्यादातर स्थानीय स्तर पर ऑर्गेनिक विधि से उत्पादित कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए यह उत्पाद बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए अधिक पौष्टिक व लाभकारी होते हैं तथा इसी वजह से स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जा रहे खाद्य उत्पादों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

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