मंडी सीट पर प्रतिभा सिंह तो जुब्बल कोटखाई पर सदरेट की भी चर्चा
HNN/ नाहन
हिमाचल प्रदेश में 2022 के लिए सेमीफाइनल माने जा रहे उपचुनाव में भले ही प्रत्याशियों की घोषणा की गई हो मगर नाम चर्चाओं में आ चुके हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से तीन विधानसभा तथा एक संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लिए महिला शक्ति को भी जगह दी जा रही है। मगर भाजपा की ओर से महिला शक्ति हाशिए पर नजर आ रही है। हालांकि जुब्बल कोटखाई सीट के लिए प्रबल दावेदारी चेतन ब्रागटा की मानी जा रही है। मगर शिमला नगर निगम की पूर्व महापौर कुसुम सदरेट का नाम भी चर्चाओं में आने लग पड़ा है।
यह बात भी सामने आ रही है की चेतन ब्रागटा के आगे कुसुम का नाम टिकता नजर नहीं आता है। मगर महिला नाम पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है। हालांकि मंडी संसदीय सीट के लिए कंगना रनौत का नाम भाजपा की ओर से चर्चा में आया था। मगर यह बताना भी जरूरी है कि रानी प्रतिभा सिंह के आगे यह नाम कहीं टिकता हुआ नजर नहीं आता है। ऐसे में सैनिक पृष्ठभूमि वाले ब्रिगेडियर खुशाल शर्मा का नाम प्रतिभा सिंह के साथ कांटे की टक्कर में लिया जा रहा है।
गौरतलब हो कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के आगे यह सेमी फाइनल मैच बड़ी चुनौती भी है। तो वही मंडी सीट पर मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। ऐसे में कंगना रनौत के नाम पर भाजपा दांव खेलने का रिस्क नहीं ले सकती है। यहां पर कांग्रेस का एंटी वीरभद्र गुट प्रतिभा सिंह के खिलाफ जा सकता है। मगर यह धड़ा किसी भी हाल में कंगना के साथ नहीं जाएगा। यहां यह भी बताना जरूरी है कि जो चर्चे छन छन कर सामने आ रहे हैं उसमें विक्रमादित्य के बयान को लेकर जो भाजपा के द्वारा टीका टिप्पणियां की गई हैं वह ऊपरी शिमला क्षेत्र के लोगों को ना गवारा भी गुजर रही है।
ऐसे में कूटनीति के तहत बयान-बाजी का सिस्टम घातक भी साबित हो सकता है। अब यदि बात की जाए अर्की सीट उपचुनाव की तो यहां पर रतन सिंह पाल का नाम भाजपा की ओर से प्रबल दावेदारी की चर्चा में गिना जा रहा है। मगर यहां पर पूर्व विधायक गोविंद सिंह भी भाजपा की ओर से दावेदारी में है। अब यदि रतन पाल सिंह को फाइनल किया जाता है तो जाहिर है खटपट नुकसानदायक साबित होगी। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि गोविंद सिंह इंडिपेंडेंट भी मैदान में उतर सकते हैं। रतन सिंह पाल एक वह चेहरा है जो कांग्रेस के संजय अवस्थी के साथ कांटे की टक्कर में चर्चित है।
रतन सिंह पाल ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। एक ब्रांड चेहरे के सामने 5000 के लगभग वोटों से हारना कहीं ना कहीं रतन सिंह की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ दर्शाती है। वहीं कांग्रेस की ओर से अर्की सीट पर कई नाम चर्चा में चल रहे हैं। मगर संजय अवस्थी जोकि इस सीट पर पहले भी मजबूत दावेदार था मगर वीरभद्र सिंह के आगे उसने बड़ा सेक्रिफाई किया था। ऐसे में कांग्रेस की ओर से संजय अवस्थी का नाम लगभग फाइनल भी माना जा सकता है। कमोबेश फतेहपुर सीट पर भी भाजपा की ओर से किसी भी महिला शक्ति का नाम चर्चा में नहीं आया है।
मगर जिस भाजपाई चेहरे का नाम इस सीट पर चर्चा में आया है कहीं ना कहीं उस चेहरे के आगे कांग्रेस का चेहरा कमजोर नजर आ रहा है। मगर 2022 के चुनाव से पहले उपचुनाव में भाजपा संगठन के अंदर कार्यकर्ता ओवर वर्क को लेकर झुंझलाहट में नजर आता है। भाजपा संगठन में जिम्मेदारियों का ओवर बर्डन कार्यकर्ताओं को जहां बगैर फायदे वाला सौदा नजर आ रहा है तो वही कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। मीटिंग पर मीटिंग भीड़ इकट्ठा करने की जिम्मेवारी पन्ना प्रमुख के साथ-साथ दो सहायक।
इन लगातार हो रही मीटिंग में बैठको, शक्ति प्रदर्शन आदि को लेकर नीचे के लेवल का कार्यकर्ता अपने घरेलू कार्यों से तो अलग-थलग पड़ ही रहा है। साथ ही उसे यह सब अब घाटे का सौदा लगने लग पड़ा है। ऐसे में संगठन में कार्यकर्ताओं को दी गई जिम्मेवारी में चूक हो जाने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। अब कांग्रेस भाजपा के मजबूत दुर्ग में किस तरीके से सेंधमारी करने की रणनीति तैयार करती है यह तो वक्त ही बताएगा। मगर यह भी सही है कि भाजपा में टिकट की दावेदारियों के दौरान महिला शक्ति को इग्नोर किया जाता है।