लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

उन्ना जिले की ऐतिहासिक 84 पौड़ियों का जीर्णोद्धार, एक महत्वपूर्ण पहल

हिमाचलनाउ डेस्क | 20 जनवरी 2025 at 9:44 am

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

Himachalnow / ऊना

सारांश: उन्ना जिले की ऐतिहासिक 84 पौड़ियों के जीर्णोद्धार का कार्य अब पूरा हो चुका है। इस कार्य को केंद्र सरकार की एजेंसी इनटेक ने किया है, जिसमें करीब 8 लाख रुपये की लागत आई। इन पौड़ियों का पुनर्निर्माण उनके पुराने स्वरूप में किया गया है, जो अब शहर के इतिहास और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में फिर से स्थापित हो गई हैं।

जीर्णोद्धार का कार्य

कार्य की शुरुआत और लागत
उन्ना जिला प्रशासन की पहल पर ऐतिहासिक 84 पौड़ियों के जीर्णोद्धार का कार्य किया गया। इस कार्य के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी इनटेक को जिम्मेदारी दी गई, और लगभग 8 लाख रुपये की लागत से इसे पूरा किया गया। इनटेक के सुपरवाइजर चंद्रशेखर चंद्रेश ने बताया कि पौड़ियों को उनके पुराने स्वरूप में बहाल किया गया है और लगभग 95 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। बचे हुए कार्य को भी जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

सैंड स्टोन का प्रयोग
इन पौड़ियों को पुराने ढंग से फिर से बनाने के लिए प्राकृतिक सैंड स्टोन का उपयोग किया गया है। चंद्रशेखर ने बताया कि सैंड स्टोन लाने के लिए एक गांव से 35 किमी दूर से पत्थर मंगवाए गए। इसके बाद, इन पत्थरों को काटकर और आकार देकर उन्हें ठीक से लगाना सुनिश्चित किया गया। इससे पौड़ियों की सुंदरता और स्थिरता बढ़ी है।

ऐतिहासिक महत्व

84 पौड़ियां और उनका धार्मिक महत्व
गुरु नानक देव जी के वंशज बाबा अमरजोत सिंह बेदी ने बताया कि इन 84 पौड़ियों का खास धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इनका निर्माण वर्ष 1786 में गुरु नानक देव के वंशजों द्वारा किया गया था। इन्हें 84 लाख योनियों से जोड़ा जाता है, और यह कभी नगर का प्रमुख प्रवेश द्वार हुआ करता था।

पौड़ियों का सांस्कृतिक महत्व
बाबा अमरजोत सिंह ने बताया कि इन ऐतिहासिक पौड़ियों पर फिर से पुराना सैंड स्टोन लगाया गया है, ताकि इनका ऐतिहासिक स्वरूप जस का तस बना रहे। इसके साथ ही, जिन सीढ़ियों की ऊंचाई कम हो गई थी, उन्हें भी फिर से ठीक कर दिया गया है, ताकि लोग आसानी से चढ़ सकें।

लोगों में बढ़ी जागरूकता

इतिहास के प्रति जागरूकता
84 पौड़ियों के जीर्णोद्धार के बाद अब लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति और अधिक जागरूक हो रहे हैं। यह परियोजना न केवल उन्ना शहर की ऐतिहासिकता को पुनः स्थापित करती है, बल्कि लोगों को यह भी समझने का अवसर देती है कि उनका शहर कितना पुराना और ऐतिहासिक है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी शहरवासियों में इस ऐतिहासिक स्थल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ रही है।

नवीन निर्माण और पुरानी धरोहर का संगम
इन पौड़ियों का जीर्णोद्धार पुराने और नए निर्माण का बेहतरीन संगम है। कोटा स्टोन की जगह अब सैंड स्टोन का उपयोग किया गया है, जो न केवल सुंदर है, बल्कि ज्यादा सुरक्षित भी है। यह कदम ऐतिहासिक संरचनाओं को प्रामाणिक रूप में बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

उन्ना जिले की ऐतिहासिक 84 पौड़ियां अब फिर से अपनी पुरानी भव्यता में वापसी कर चुकी हैं। यह परियोजना न केवल शहर की सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित करती है, बल्कि उन्ना के नागरिकों में ऐतिहासिक महत्व के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती है। इस कदम से शहरवासियों को यह अहसास होता है कि उनकी संस्कृति और इतिहास कितने मूल्यवान हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें