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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मेमोरियल को लेकर प्रक्रिया शुरू, सरकार ने की परिवार से चर्चा…

हिमाचलनाउ डेस्क | 2 जनवरी 2025 at 12:03 am

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Himachalnow / Delhi

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर केंद्र सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनके स्मारक के लिए परिवार से बातचीत की गई है, और उन्हें कुछ स्थानों के विकल्प सुझाए गए हैं। परिवार से इन स्थानों में से एक का चयन करने को कहा गया है, ताकि स्मारक निर्माण का काम शीघ्र आरंभ किया जा सके।


ट्रस्ट के गठन की आवश्यकता

नई सरकारी नीति के अनुसार, स्मारक के लिए जमीन का आवंटन केवल ट्रस्ट को ही किया जा सकता है। इसलिए, स्मारक निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक ट्रस्ट का गठन अनिवार्य होगा।
ट्रस्ट गठन के बाद, यह जमीन के लिए आवेदन करेगा। आवंटन प्रक्रिया पूरी होने पर सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होंगे।


स्मारक के संभावित स्थान

डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल, या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन आवंटित किए जाने की संभावना है।
शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने इन संभावित स्थानों का दौरा किया है। इसके अलावा, यह भी विचार किया जा रहा है कि स्मारक को नेहरू-गांधी परिवार के नेताओं की समाधियों के पास स्थापित किया जाए। इस स्थान पर पहले ही जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी की समाधियां मौजूद हैं।


डॉ. मनमोहन सिंह का निधन और अंतिम संस्कार

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को दिल्ली के एम्स में उम्र संबंधी समस्याओं के कारण हुआ। 92 वर्ष के सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को निगमबोध घाट पर किया गया।
अंतिम संस्कार में देश और दुनिया के नेताओं ने शोक व्यक्त किया। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।


अस्थियों का विसर्जन

29 दिसंबर को मजनू का टीला स्थित गुरुद्वारे में डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियां रखी गईं। यहां शबद कीर्तन, पाठ, और अरदास के बाद उनके परिजनों ने अस्थियों का यमुना नदी में विसर्जन किया।


निष्कर्ष: एक राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण

केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि पूर्व प्रधानमंत्री का स्मारक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बनाया जाएगा। यह स्मारक न केवल डॉ. मनमोहन सिंह के अभूतपूर्व योगदान को सम्मान देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनकी उपलब्धियों और सेवा की याद दिलाने का कार्य करेगा।
स्मारक के लिए प्रक्रिया जारी है, और यह राष्ट्रीय स्मृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने वाला है।

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