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ISRO की कमाई / इसरो स्पेस मिशनस ही नहीं कमाई में भी है आगे, आज आपको बताते हैं इसरो ने पिछले 10 साल में लॉन्चिंग से कितनी कमाई करी है

हिमाचलनाउ डेस्क | 1 जनवरी 2025 at 12:13 am

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एक दशक की अद्वितीय सफलता

पिछले दस वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की, बल्कि वैश्विक सहयोगों के माध्यम से कमाई भी की है। केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार, इसरो ने अमेरिका और यूरोपीय संघ से अंतरराष्ट्रीय उपग्रह लॉन्च से अरबों रुपये कमाए हैं। इस लेख में हम देखेंगे कि किस तरह से इसरो के वाणिज्यिक उपग्रह लॉन्च ने भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है।

इसरो की अंतरराष्ट्रीय मिशनों से कमाई

अमेरिका और यूरोपीय संघ से कुल आय

जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दस वर्षों में इसरो ने 427 मिलियन डॉलर (लगभग 3600 करोड़ रुपये) की कमाई की है। यह राशि अमेरिका और यूरोपीय संघ के लिए किए गए वाणिज्यिक उपग्रह लॉन्च से आई है, जो इसरो की बढ़ती विश्वसनीयता और तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है।

  • अमेरिकी मिशन से कमाई: 157 मिलियन डॉलर
  • यूरोपीय संघ के मिशन से कमाई: 271 मिलियन डॉलर

ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत ने अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में कितना बड़ा कदम बढ़ाया है और एक प्रमुख अंतरिक्ष राष्ट्र के रूप में उसकी स्थिति कितनी मजबूत हो गई है।

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इन अंतरराष्ट्रीय मिशनों से मिलने वाली आय ने न केवल इसरो की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में स्थिति को भी मजबूती प्रदान की है। वैश्विक ग्राहकों के लिए उपग्रह लॉन्च करने की क्षमता, इसरो की विशेषज्ञता और विश्वसनीयता को प्रदर्शित करती है।

भविष्य की संभावनाएँ: और भी मिशन होंगे

आने वाले वर्षों में बढ़ेगी कमाई

जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों से होने वाली आय में और वृद्धि की संभावना है। इसरो 2025 के पहले छमाही में कई महत्वपूर्ण वाणिज्यिक लॉन्च करने की योजना बना रहा है।

आगामी अंतरराष्ट्रीय मिशन

जितेंद्र सिंह ने कहा, “हमारे पास अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए पहले तीन महीनों में LVM3-M5 मिशन निर्धारित है। इसके अलावा, फरवरी या मार्च तक हम अमेरिका के लिए सीधे मोबाइल संचार उपग्रह भी लॉन्च करेंगे, जो हमारी उभरती क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा। नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह का बहुप्रतीक्षित प्रक्षेपण भी दूसरी तिमाही तक होगा। यह सभी वाणिज्यिक मिशन हैं, जो देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाते हैं।”

निष्कर्ष

पिछले एक दशक में इसरो ने अंतरिक्ष में अपने कद को और मजबूत किया है और भविष्य में भी वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को और बढ़ाने के लिए तैयार है। आगामी मिशन भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छूने का मौका प्रदान करेंगे।

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