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हिमाचल विधानसभा सत्र / अनुबंध कर्मियों को नहीं मिलेंगे नियमित कर्मचारियों के लाभ, यहां जाने सब विस्तार से क्या-क्या हुआ विंटर सेशन के तीसरे दिन

हिमाचलनाउ डेस्क | 21 दिसंबर 2024 at 7:38 am

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Himachalnow / धर्मशाला

शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में चार महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया, जिनमें हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक, पंचायती राज संशोधन विधेयक, और पुलिस अधिनियम संशोधन विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा, भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक भी पारित किया गया, जिसके बाद अब भोटा अस्पताल की 30 एकड़ भूमि का हस्तांतरण संभव हो सकेगा। आइए, इस सत्र के प्रमुख मामलों का विस्तार से विवरण जानें:


1. कर्मचारी सेवा शर्तों में संशोधन: नियमित और अनुबंध कर्मचारियों के बीच अंतर

प्रमुख विधेयक: हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक

इस विधेयक के तहत नियमित और अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों को अलग किया गया है। इस विधेयक को पारित करने का उद्देश्य राज्य सरकार के खजाने पर बोझ को कम करना और नियमित कर्मचारियों की वरिष्ठता को प्रभावित होने से बचाना था।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बयान:

  • सेवा शर्तों का अंतर: मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुबंध और नियमित कर्मचारियों की सेवा शर्तों में अंतर होना चाहिए, क्योंकि अनुबंध कर्मियों को नियमित कर्मियों के समान मानने से राज्य के खजाने पर बोझ पड़ेगा और इससे नियमित कर्मियों की वरिष्ठता पर असर पड़ेगा।
  • त्रुटि का सुधार: सुक्खू ने बताया कि यह संशोधन एक त्रुटि को ठीक करने के लिए किया गया है, जो नियमित कर्मचारियों को डिमोट करने की स्थिति में ला सकता था।

विपक्षी दलों की आपत्ति:

  • पिछली तिथि से लागू होने पर आपत्ति: भाजपा के विधायक त्रिलोक जमवाल और जीतराम कटवाल ने इस संशोधन को पिछली तिथि से लागू करने पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि इससे पहले से पदोन्नति प्राप्त अनुबंध कर्मियों को नुकसान हो सकता है।
  • पुनर्विचार की मांग: भाजपा विधायक रणधीर शर्मा और हंसराज ने विधेयक को प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर पुनः विचार करने की अपील की।

2. धर्मार्थ संस्थाओं को भूमि हस्तांतरण का विधेयक: विवाद और समर्थन

प्रमुख विधेयक: भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024

इस विधेयक के तहत धार्मिक और चैरिटेबल संस्थाओं को 30 एकड़ तक भूमि हस्तांतरित करने का प्रावधान है। खासकर, राधास्वामी सत्संग को भोटा अस्पताल की 30 एकड़ भूमि हस्तांतरित की जाएगी। यह विधेयक विवादों के बीच पारित हुआ।

विपक्ष की आपत्ति:

  • जल्दबाजी में पारित न करने की मांग: विपक्ष ने इस विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की, ताकि इसकी विस्तृत जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है।

सरकार का पक्ष:

  • विधेयक का उद्देश्य: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य केवल उन संस्थाओं की मदद करना है, जो अच्छे कार्यों में लगी हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक हिमाचल के हित में है और विपक्ष द्वारा इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग, एक तरह से विरोध ही है।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का स्पष्टीकरण:

  • एक समय के लिए प्रावधान: मंत्री ने बताया कि यह एक समय के लिए प्रावधान है, जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक या चैरिटेबल संस्थाओं को केवल उसी उद्देश्य के लिए भूमि हस्तांतरित की जा सकेगी, और यह भूमि अन्य समान संस्थाओं को ही हस्तांतरित की जा सकेगी।

3. विपक्ष की चिंताएँ और सरकार का जवाब

  • जयराम ठाकुर की आपत्ति: विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि राधास्वामी सत्संग संस्था ने कोविड-19 के दौरान सराहनीय कार्य किया है, लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि इस विधेयक का दुरुपयोग अन्य संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है।
  • बीजेपी का रुख: बीजेपी के रणधीर शर्मा ने कहा कि भाजपा भी राधास्वामी ब्यास संस्था के भूमि विवाद का समाधान चाहती है, लेकिन इस कानून के दुरुपयोग का खतरा है।

विधेयक का पारित होना: तमाम विवादों और बहस के बावजूद, विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद अब राधास्वामी सत्संग ब्यास और इसके संबंधित संस्थानों को भोटा अस्पताल की 30 एकड़ भूमि हस्तांतरित हो सकेगी।


4. निष्कर्ष: विधानसभा सत्र और राजनीतिक गतिशीलता

इस सत्र में कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक विचारधाराओं का भिन्नता साफ दिखी। कर्मचारी सेवा शर्तों में संशोधन और भूमि हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर तीखी बहस और आपत्तियाँ सामने आईं।

  • मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान: मुख्यमंत्री ने विपक्ष की आलोचना पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि हिमाचल के हित हमेशा उनकी सरकार की प्राथमिकता रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी भी कीमत पर हिमाचल की संपत्ति को नहीं बेचेगी, जैसा पिछली सरकार ने किया था।
  • विपक्ष का रुख: विपक्ष ने कई बिंदुओं पर सरकार की नीतियों का विरोध किया, खासकर विधेयकों को पिछली तिथि से लागू करने और भूमि हस्तांतरण के प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की।

इस सत्र ने राज्य सरकार और विपक्ष दोनों के बीच नीतिगत और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी बहस को उजागर किया।

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