Himachalnow / शिमला
ओपीएस के लागू होने से लोन लिमिट में कमी
हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों का दिल जीता है, जब उसने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने का निर्णय लिया। हालांकि, ओपीएस लागू करने के बाद राज्य सरकार को एक बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा है। इस नुकसान का असर केंद्र से मिलने वाली लोन लिमिट पर पड़ा है।
पहले, जब न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू थी, तब राज्य सरकार को केंद्र से अधिक लोन लिमिट मिलती थी। अब ओपीएस लागू होने के बाद, केंद्र सरकार ने नियमों के तहत लोन लिमिट में कटौती कर दी है। इससे राज्य सरकार को मिलने वाली लोन लिमिट में कमी आई है।
एनपीएस और ओपीएस में अंतर
एनपीएस के तहत कर्मचारी के वेतन से कुछ रकम कटती थी और राज्य सरकार भी अपना हिस्सा डालती थी। इसके बदले में केंद्र सरकार राज्य को लोन लिमिट अधिक देती थी, जिससे राज्य सरकार को आसानी से कर्ज लेने में मदद मिलती थी।
अब जब ओपीएस लागू किया गया है, तो इसमें कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती, और राज्य सरकार को अधिक लोन लिमिट नहीं मिल रही। इसके परिणामस्वरूप, राज्य सरकार को लोन लेने के लिए कम लिमिट मिल रही है, जो राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर असर डाल रही है।
लोन लिमिट क्या है?
लोन लिमिट से तात्पर्य है, कि राज्य सरकार एक वर्ष में कितना कर्ज ले सकती है। यह सीमा केंद्र सरकार तय करती है। राज्य सरकार लोन लिमिट के लिए आवेदन करती है, और केंद्र उसे मंजूरी देता है। एक बार लोन लिमिट मिल जाने के बाद, राज्य सरकार उस सीमा के भीतर कर्ज ले सकती है।
लोन लिमिट की यह व्यवस्था साल के दो हिस्सों में बांटी जाती है—पहला भाग मार्च से दिसंबर तक, और दूसरा जनवरी से मार्च तक। इस साल, राज्य सरकार के पास 517 करोड़ रुपए की लोन लिमिट बची है, जिसे राज्य सरकार अगले कुछ दिनों में कर्ज के रूप में उपयोग करेगी।
केंद्र से लोन लिमिट की सख्त जरूरत
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हिमाचल सरकार ने पहले ही जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक की लोन लिमिट के लिए आवेदन कर दिया है। यह आवेदन वित्त विभाग द्वारा केंद्र सरकार को भेजे जा चुके हैं। पिछले साल की आखिरी तिमाही में, राज्य सरकार को 1700 करोड़ रुपए की लोन लिमिट मिली थी। इस बार भी राज्य सरकार को उतनी ही रकम मिलने की उम्मीद है, जो राज्य के वित्तीय प्रबंधन के लिए राहतकारी हो सकती है।
राज्य सरकार का लोन लिमिट पर ध्यान
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में, हिमाचल को 6217 करोड़ रुपए की लोन लिमिट मिली थी। लेकिन अब इस लिमिट में से केवल 517 करोड़ रुपए ही बची हैं। इस लिमिट का उपयोग राज्य सरकार अगले सप्ताह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित बोली से करेगी। इस प्रक्रिया से कर्ज की रकम राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी।
हिमाचल सरकार की नजरें अब केंद्र से आने वाली लोन लिमिट की मंजूरी पर हैं। यदि यह मंजूरी जल्दी मिलती है, तो राज्य सरकार को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले राहत मिल सकती है।
ओपीएस लागू करने से जहां कर्मचारियों को लाभ हुआ, वहीं राज्य सरकार को लोन लिमिट में कमी का सामना करना पड़ा है। हालांकि, राज्य सरकार ने केंद्र से लोन लिमिट बढ़ाने के लिए आवेदन किया है, और केंद्र से मंजूरी मिलने पर राज्य को कुछ राहत मिल सकती है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि सुक्खू सरकार किस तरह वित्तीय चुनौतियों का सामना करती है और हिमाचल की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कौन से कदम उठाए जाते हैं।