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हिमाचल की पहली अत्याधुनिक ड्रग टेस्टिंग लैब बद्दी में हुई शुरू

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Himachalnow / बद्दी

दवाओं की गुणवत्ता सुधारने और कंडाघाट लैब का भार कम करने में बद्दी लैब बनेगी सहायक

ड्रग्स कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि इस लैब के शुरू होने से कंडाघाट लैब पर जो ओवरबर्डन था, वह कम होगा। इससे दवाओं की गुणवत्ता जांच में तेजी आएगी और अधिक से अधिक सैंपल समय पर परीक्षण के लिए उपलब्ध हो पाएंगे। यह कदम दवा निर्माण में गुणवत्ता सुधार सुनिश्चित करने के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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बद्दी : हिमाचल प्रदेश के बद्दी फार्मा हब में राज्य की पहली अत्याधुनिक ड्रग टेस्टिंग लैब का संचालन शुरू हो गया है। 32 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित यह लैब दवाओं की गुणवत्ता जांच को प्रभावी बनाने और फार्मा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अहम भूमिका निभाएगी।

फार्मा हब को बड़ी राहत
बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (BBN) औद्योगिक क्षेत्र में 650 से अधिक दवा निर्माण इकाइयां कार्यरत हैं। यह क्षेत्र हर साल 35,000 करोड़ रुपये की दवाओं का उत्पादन करता है, जिसमें 15,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। अब स्थानीय लैब की उपलब्धता से इन इकाइयों को बाहर की निजी लैब पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

उन्नत तकनीक और बेहतर सुविधाएं
इस लैब में 15 अत्याधुनिक HPCL मशीनों सहित उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण लगाए गए हैं, जिनकी मदद से हर साल 8,000 से 10,000 दवा नमूनों का परीक्षण किया जा सकेगा। पहले ही दिन 70 दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया गया।

ड्रग्स कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि इस लैब के शुरू होने से कंडाघाट लैब पर जो ओवरबर्डन था, वह कम होगा। इससे दवाओं की गुणवत्ता जांच में तेजी आएगी और अधिक से अधिक सैंपल समय पर परीक्षण के लिए उपलब्ध हो पाएंगे। यह कदम दवा निर्माण में गुणवत्ता सुधार सुनिश्चित करने के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

स्थानीय उद्योगों को लाभ
लैब का संचालन पंचकूला स्थित आईटीसी लैब्स को सौंपा गया है, जिसे हर साल 6 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें 30-40 तकनीशियन और 10 प्रशासनिक अधिकारी तैनात किए गए हैं, जबकि राज्य सरकार ने निगरानी के लिए दो सरकारी विश्लेषकों को नियुक्त किया है।

गुणवत्ता मानकों की मजबूती
हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने इस लैब को फार्मा उद्योगों के लिए वरदान बताया। उन्होंने कहा कि इससे दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और छोटे निर्माताओं को भी परीक्षण के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

भविष्य की योजनाएं
झाड़माजरी में एक और हाई-टेक लैब स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है। इससे हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

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