Himachalnow / शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रॉमा सेंटर से जुड़े जनहित मामले में गंभीरता दिखाई है। कोर्ट ने हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक चिकित्सा शिक्षा (DME) और आईजीएमसी शिमला के प्रिंसिपल को आगामी 5 दिसंबर को अदालत में तलब किया है। इन सभी अधिकारियों को ट्रॉमा सेंटर से संबंधित सारे रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश जारी किया गया है।
कोर्ट द्वारा जारी आदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारियों को 5 दिसंबर को ट्रॉमा सेंटर से जुड़े सभी दस्तावेजों के साथ अदालत में पेश होने का आदेश दिया।
केंद्र और राज्य सरकार से हलफनामे की मांग
इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से अदालत में यह बताया गया था कि ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र के पास पर्याप्त धन है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस बारे में अभी तक कोई औपचारिक मांग नहीं की है। इस पर कोर्ट ने राज्य और केंद्र दोनों से हलफनामे दाखिल करने के आदेश दिए थे, ताकि यह साफ हो सके कि ट्रॉमा सेंटर की सुविधा को लेकर कौन-सी कार्रवाई की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर हाईकोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर भी सवाल उठाए थे। अदालत ने कहा था कि यह जानकर बहुत अफसोस होता है कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के प्रति कोई ठोस प्रयास नहीं किए। विशेषकर शिमला, टांडा और चंबा के मुख्य अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर के बुनियादी ढांचे की स्थिति पर अदालत ने चिंता जताई थी।
IGMC अस्पताल का ट्रॉमा सेंटर अभी तक शुरू नहीं हुआ
हालांकि, हाल ही में शिमला के IGMC अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की शुरुआत हुई है, लेकिन यह अभी पूरी तरह से कार्यात्मक नहीं हो पाया है। अस्पताल में आवश्यक मशीनरी की कोई कमी नहीं है, लेकिन स्टाफ की पर्याप्त संख्या नहीं है, जो इस सेंटर की सही तरीके से कार्यप्रणाली में मदद कर सके। कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों से जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
5 दिसंबर को पेश होने का आदेश
अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारियों को 5 दिसंबर को ट्रॉमा सेंटर के सभी रिकॉर्ड के साथ हाईकोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। यह सुनवाई सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार और ट्रॉमा सेंटर की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की यह कार्रवाई राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। ट्रॉमा सेंटर्स की महत्वता को देखते हुए, अदालत ने मामले की सुनवाई में सख्ती दिखाई है, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करेंगी।