नई भर्तियों के लिए अब अलग-अलग विभागों में क्रियाशील पदों पर भी होगा फैसला
HNN News शिमला
हिमाचल प्रदेश में करार खत्म होने के बाद 17 सौ से अधिक आउटसोर्स कर्मी 31 मार्च को नौकरी से बाहर कर दिए गए थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने इन्हें राहत पहुंचाने के उद्देश्य से मामला 13 तारीख को होने वाली कैबिनेट में रखे जाने का फैसला लिया है।
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असल में स्वास्थ्य विभाग में जो आउटसोर्स कर्मियों का मामला वित्त विभाग को भेजा था उसे वित्त विभाग ने सरकार को प्रेषित कर दिया है। जिसके बाद मामले को मंजूरी के लिए कैबिनेट हेतु विचाराधीन कर लिया गया है।
ऐसे में यदि कैबिनेट की मुहर आउटसोर्स कर्मियों के मामले पर लग जाती है तो यह सब सरकारी मुलाजिम बन जाएंगे। बता दें कि रेगुलर पदों की कमी के चलते और कोविड- काल के दौरान 1700 से भी अधिक आउटसोर्स कर्मियों को भर्ती किया गया था। यह भर्ती विभिन्न कंपनियों के माध्यम से की गई थी।
जिसमें स्टाफ नर्स फीमेल हेल्थ वर्कर पैरामेडिकल स्टाफ चपरासी डाटा एंट्री ऑपरेटर वगैरह शामिल थे। यही नहीं कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य विभाग के द्वारा करीब 2000 से अधिक कर्मचारियों को इमरजेंसी व्यवस्था के लिए भर्ती किया गया था। यह सभी कर्मचारी 2 साल से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं निष्ठा के साथ दे रहे थे।
अचानक बाहर किए जाने पर इन सब की रोजी-रोटी पर संकट आ गया था। जिसको लेकर सरकार ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए इनको राहत पहुंचाने का फैसला लेने की सोची है। मामला असल में इसलिए भी बिगड़ा क्योंकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा रेगुलर स्टाफ भी भर्ती कर दिया गया था।
जिसके चलते आउटसोर्स कर्मियों की वजह से वित्तीय बोझ बढ़ गया था। यही वजह है कि इन्हें आगे सेवाओं के लिए बहाल करने को लेकर वित्तीय कारण बताए जा रहे थे। बरहाल सरकार की मंशा और नियत यह साफ इशारा करती है कि वह आउट सोर्स कर्मियों के विरोध में नहीं बल्कि उनको कैसे रीएंटर किया जाए इसको लेकर चिंतित है।
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