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​⚖️ हिरासत में हिंसा व्यवस्था पर ‘बड़ा दाग’, इसे बर्दाश्त नहीं करेगा देश/ सुप्रीम कोर्ट​

Shailesh Saini | 26 नवंबर 2025 at 8:29 am

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अमरीका की ओपन एयर जेलों और निजी जेलों का भी हुआ जिक्र मगर..

नई दिल्ली​

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में होने वाली हिंसा और मौतों पर अत्यंत कठोर टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने इन घटनाओं को देश की न्यायिक और कानून व्यवस्था पर एक ‘बड़ा दाग’ बताते हुए साफ कहा कि भारत अब किसी भी परिस्थिति में ऐसी वारदातों को स्वीकार नहीं करेगा।

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​न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों के कार्यान्वयन में आ रही विसंगतियों से जुड़े एक मामले की स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी।

इस दौरान अदालत ने राजस्थान में केवल आठ महीनों के भीतर हुई 11 हिरासत मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की।​बेंच ने सख्त लहजे में कहा, “हिरासत में मौतें नहीं हो सकतीं। यह पूरी व्यवस्था पर एक धब्बा है, और देश किसी भी हालत में इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।

​⚠️ केंद्र सरकार पर नाराजगी, अनुपालन रिपोर्ट न देने पर सवाल​

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिरासत में हुई मौतों को अनुचित ठहराया, लेकिन कोर्ट इस बात से नाराज़ दिखा कि केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले में अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।​

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हल्के में लेने का आरोप लगाते हुए तीखे सवाल किए। इसके बाद केंद्र सरकार ने तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का वादा किया।

यह मामला 2018 और 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश से जुड़ा है, जिसके तहत सभी पुलिस थानों, सीबीआई, ईडी, और एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में फुल कवरेज वाले सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया था।

​अदालत को यह जानकारी दी गई कि शीर्ष अदालत के आदेशों के बावजूद केवल 11 राज्यों ने ही अब तक अपनी रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि कई राज्यों और केंद्र के विभागों ने कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि, यह बताया गया कि तीन केंद्रीय एजेंसियों में सीसीटीवी लग चुके हैं।​

ओपन एयर जेल और अमेरिकी मॉडल पर चर्चा​

मामले की सुनवाई के दौरान, बातचीत में अमेरिका के जेल मॉडल का उल्लेख हुआ, जहाँ कुछ स्थानों पर सीसीटीवी की लाइव स्ट्रीमिंग और निजी जेलों का प्रावधान है।

सॉलिसिटर जनरल ने सीएसआर फंड से निजी जेल बनाने के सुझाव की बात कही। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि वह पहले से ही ‘ओपन एयर प्रिजन मॉडल’ पर एक अन्य मामले की सुनवाई कर रहा है, जो जेलों में अत्यधिक भीड़भाड़ और हिंसा जैसे मुद्दों को कम करने में भी सहायक हो सकता है।

​ इसी दौरान, शीर्ष कोर्ट ने मध्य प्रदेश के प्रयासों की सराहना की और कहा कि राज्य ने अत्यंत सराहनीय काम किया है, जहाँ प्रत्येक पुलिस स्टेशन और चौकी को जिला नियंत्रण कक्ष से सीधे लाइव जोड़ा गया है।

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