HNN/ संगड़ाह
उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित मंडोली लाइमस्टोन माइन के संचालक द्वारा आरक्षित वन भूमि में किए जा रहे अवैध खनन की शिकायत जोगिंद्र सिंह नामक स्थानीय ग्रामीण द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर की गई। शिकायत के बावजूद यहां चूना पत्थर का अवैध खनन बंद न होने पर उन्होने वन व खनन विभाग के संबधित अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई।
उन्होने कहा कि, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर 24 फरवरी को दर्ज शिकायत संख्या- 245401 के मुताबिक आरओ संगड़ाह को इस मामले मे कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे, मगर उक्त अधिकारी ने बुधवार को गार्ड को उनका बयान लेने के लिए भेज कर मामले को ठंडे बस्ते मे डालने की कोशिश की। फोरेस्ट गार्ड तथा प्रेस को जारी बयान में जोगिंद्र ने कहा कि, मंडोली बीट के आरक्षित वन क्षेत्र की निशानदेही न होने तक खनन कार्य बंद रखा जाए।
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उन्होंने कहा कि, प्रभावशाली खनन व्यवसाई द्वारा जहां करीब 182 बीघा भूमि पर खनन की अनुमति ली गई है, वहीं इसके बाहर रिजर्व फोरेस्ट मे अवैध खनन किया जा रहा हैं। अवैध खनन से पेड़ों को भारी नुक्सान होने के बावजूद वन विभाग द्वारा संतोषजनक कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। हिमालयन लाइमस्टोन के नाम से चल रही गुप्ता एसोसिएट की इस माइन को लीज न मिलने से पहले यहां वन भूमी मे हो रहे खनन को 15 दिसंबर 2017 को फोरेस्ट गार्ड व माइनिंग गार्डन द्वारा गड्ढा खोदकर व तारबाड़ से बंद करवाया जा चुका है।
गौरतलब है कि, गत वर्ष संगड़ाह निवासी नरेंद्र सिंह द्वारा भी साथ लगती वालिया माइन संगडाह में खनन व्यवसायियों द्वारा बान व देवदार के दर्जनों पेड़ों को गिराए जाने संबंधी शिकायत वन विभाग से की गई थी तथा यहां पंचायत की 8 बीघा भूमी पर राजस्व कर्मियों द्वारा खनन व्यवसाई का कब्जा दर्ज किया जा चुका है।
जानकारी के अनुसार उपमंडल संगड़ाह में वर्तमान में करीब 782 बीघा भूमि पर 5 चूना चल रही है जबकि, करीब 300 बीघा भूमि पर खनन कार्य सरकारी रिकार्ड के अनुसार बंद है। विडंबना यह भी है कि, प्रदेश सरकार द्वारा 3 साल पहले संगड़ाह के लिए माइनिंग चेक पोस्ट व धर्म कांटा लगाए जाने को स्वीकृति दी गई है, मगर जिला खनन अधिकारी व माइनिंग गार्ड के अनुसार वह अब तक खनन पड़ताल चौकी के लिए जमीन चयनित नही कर सके।
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