HNN/ शिलाई
सदियों से चली आ रही बूढ़ी दिवाली की परंपरा को आज भी जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के लोग संजोये हुए हैं। यहां 154 से अधिक पंचायतों में बूढ़ी दिवाली मनाए जाने की एक अनूठी परंपरा है। हर्ष और उल्लास के इस महापर्व का इंतजार क्षेत्र के लोग बड़ी बेसब्री से करते है। आधी रात को कड़कड़ाती ठंड में भी लोग हाथों में मशाल लेकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर थिरकते-थिरकते पौराणिक लिम्बर नृत्य का आनंद उठाते हैं।
कुछ क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली को मशराली के नाम से जाना जाता है। बूढ़ी दीपावाली का त्योहार ट्रांसगिरी और उत्तराखंड के जौनसार में मनाया जाता हैं। बता दें जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग आज यानी 23 नवंबर से बूढ़ी दीवाली धूमधाम से मनाएंगे तथा यह पर्व एक सप्ताह तक जारी रहेगा।
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ऐसे में गिरीपार क्षेत्र में एक सप्ताह तक बूढ़ी दिवाली की धूम रहेगी। इस दौरान गांव-गांव में पारंपरिक लोक नृत्य होंगे और इसकी शुरुआत मशाले जलाकर होगी। इस दौरान लोग एक दूसरे को सूखे मेवे, चिड़वा, अखरोट व शाकुली खिलाकर बधाई देते हैं। बूढ़ी दिवाली के दौरान अलग-अलग दिन अस्कली, धोरोटी, पटांडे, सीड़ो व तेलपकी आदि पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं।
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