जिला सिरमौर के हजारों किसान अब रासायनिक की बजाय प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर चुके हैं। मक्की, गेहूं और हल्दी के बाद अब ऑर्गेनिक लहसुन की खेती ने उन्हें आर्थिक संबल और बाजार में अलग पहचान दी है।
सिरमौर
11,500 किसान जुड़ चुके हैं प्राकृतिक खेती से, ऑर्गेनिक लहसुन बनी नई उम्मीद
सिरमौर जिले में अब तक लगभग 11,500 किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ चुके हैं। हाल ही में यहां के किसानों ने ऑर्गेनिक मक्की, गेहूं और हल्दी के साथ-साथ अब ऑर्गेनिक लहसुन का भी सफल उत्पादन किया है। पूरे जिले में इस वर्ष 60,000 मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन हुआ, जिसमें से 5,000 मीट्रिक टन लहसुन ऑर्गेनिक विधि से तैयार किया गया है।
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प्राकृतिक लहसुन को बाजार में मिल रही दोगुनी कीमत
सरकार की ओर से अभी तक ऑर्गेनिक लहसुन का समर्थन मूल्य तय नहीं किया गया है, फिर भी बाजार में इसकी कीमत लगभग 190 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है, जो सामान्य लहसुन के मुकाबले दोगुनी से अधिक है। नहरस्वार और पराडा पंचायतों में 500 क्विंटल से अधिक प्राकृतिक लहसुन तैयार हुआ है। यहां की ‘द नैहर एफपीओ समिति’ इसमें अहम भूमिका निभा रही है, जिसमें 200 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं और A ग्रेड गुणवत्ता का लहसुन उत्पादित किया जा रहा है।
मक्की, गेहूं और हल्दी को समर्थन मूल्य पर खरीदी मिल रही है
‘आत्मा प्रोजेक्ट’ के तहत इस वर्ष 500 क्विंटल ऑर्गेनिक मक्की, 180 क्विंटल गेहूं और 20 क्विंटल ऑर्गेनिक हल्दी को सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदा है। सरकार ने मक्की का MSP ₹30 से बढ़ाकर ₹40, गेहूं का ₹40 से बढ़ाकर ₹60 और हल्दी को पहली बार ₹90 प्रति किलो का समर्थन मूल्य दिया है। आत्मा प्रोजेक्ट अधिकारी साहब सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।
लहसुन की ‘पार्वती’ किस्म बन रही है किसानों की पसंद
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि इस बार जिले में लहसुन का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले 3,000 क्विंटल अधिक रहा है। किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली ‘पार्वती’ किस्म की लहसुन उपलब्ध कराई जा रही है, जो उत्पादन और बाजार मांग दोनों के लिहाज से लाभकारी साबित हो रही है।
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