ऊना/वीरेंद्र बन्याल
हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी, शिमला ने रविवार को आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा जयंती के अवसर पर लता मंगेशकर कला केन्द्र ऊना में राज्य स्तरीय लेखक संगोष्ठी और कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर विद्वानों और कवियों ने आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा के योगदान को याद करते हुए संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन पर जोर दिया।
लेखक संगोष्ठी में प्रस्तुत हुए शोधपत्र
कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. मदन मोहन शर्मा ने की। आचार्य श्याम लाल शर्मा ने “आचार्य दिवाकरदत्त शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया जबकि डॉ. मुकेश शर्मा ने “गुरु-शिष्य परंपरा एवं संस्कृत संरक्षण में योगदान” पर अपना शोधपत्र पढ़ा। इस दौरान आचार्य जगत प्रसाद शास्त्री, नाचधर द्विवेदी, डॉ. राजकुमार, ओमदत्त सरोच और अन्य विद्वानों ने विचार रखे। सत्र का संचालन डॉ. कुलदीप शर्मा ने किया। मुख्य अतिथि आचार्य डॉ. मस्तराम शर्मा ने संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए इसके प्रसार के लिए सभी को संकल्प लेने का आह्वान किया। इसी दौरान साहित्यकार रमेश चन्द्र मस्ताना की पुस्तक “पहाड़ों की छांव में” का विमोचन भी किया गया।
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कवि सम्मेलन में गूंजे काव्य पाठ
दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता ओमदत्त सरोच ने की। इस सत्र में ओम कुमार शर्मा, कृषा लद्दाखी, हिमांशु शर्मा, डॉ. रजनीकांत, डॉ. योगेश चन्द्र सूद, अलका चावला, ओंकार प्रसाद, डॉ. बलदेव चन्द शर्मा, रवीन्द्र चन्देल कमल, सुरम सिंह सहित अनेक कवियों ने काव्य पाठ कर वातावरण को साहित्यिक रंगों से सराबोर किया।
कार्यक्रम में रही व्यापक भागीदारी
समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकारों और विद्वानों ने भाग लिया। अकादमी परिषद सदस्य डॉ. राजकुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर अकादमी की सहायक सचिव डॉ. श्यामा वर्मा, अनुसंधान अधिकारी स्वतन्त्र कौशल, राकेश कुमार, रवि कुमार और मदन सिंह भी उपस्थित रहे।
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