HNN/ चम्बा
मौसम की बेरुखी और बदली पारिस्थितिकी ने हिमाचल प्रदेश में भालुओं की नींद उड़ा दी है। अब भालू तीन से चार महीने की शीत निद्रा में नहीं जा रहे हैं, बल्कि मानव बस्तियों के आसपास घूम रहे हैं। पहले नवंबर में हिमपात होते ही भालू गुफाओं में शीत निद्रा में तीन से चार महीने तक सो जाते थे। इस दौरान इनके शरीर में जमा वसा ही इनका भोजन होता था।
पिछले कुछ वर्षों में बदले मौसम, जंगलों के घटने आदि से पारिस्थितिकी बिगड़ गई है। भालुओं की प्रकृति में आए बदलाव का एक कारण इसे भी माना जा रहा है। इन दिनों भालू रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं, जिससे लोग दहशत में हैं। लोग जंगलों में मवेशी चराने और लकड़ियां एकत्रित करने के लिए जाने से कतराने लगे हैं।
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लोगों का कहना है कि पहले भालू जंगलों में देखे जाते थे लेकिन अब रिहायशी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कई बार भालू से आमना-सामना भी हो चुका है। इतना ही नहीं यह भालू अब तक दर्जनों लोगों पर हमला कर चुके हैं। वर्ष 2018 से 2021 तक चंबा में भालू के हमलों में 47 लोग घायल हुए है।
इसी वर्ष जनवरी से दिसंबर तक भालू के हमलों में नौ व्यक्ति घायल हुए है। चंबा जिला के होली, रजेरा, भडियां व पनेला सहित अन्य क्षेत्रों में मादा भालू अपने बच्चों के साथ गांव के आस-आस दिनदहाड़े घूमती हुई कई बार देखी गई है जिससे लोगों में दहशत का माहौल है।
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