प्रवक्ता ने कर्मचारी संगठनों के आरोपों को किया खारिज
बोर्ड की ओर से कोई पद समाप्त नहीं किया गया
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के प्रवक्ता अनुराग पराशर ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड में किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बोर्ड केवल हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों का पालन कर रहा है।
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बोर्ड की उच्च वेतन लागत को नियंत्रित करने का निर्देश
प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बोर्ड से कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाली सैलरी और पेंशन खर्च कम करने को कहा है, क्योंकि बोर्ड का यह खर्च देश में सबसे अधिक 2.50 रुपए प्रति यूनिट है। आयोग बिजली दरें निर्धारित करता है और बोर्ड की वित्तीय स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहा है। इसी के चलते आयोग ने बोर्ड को अपनी कर्मचारी लागत को कम करने के निर्देश दिए हैं।
कुछ पदों का किया जा रहा है युक्तिकरण, नहीं की जा रही समाप्ति
अनुराग पराशर ने स्पष्ट किया कि बोर्ड केवल कुछ श्रेणियों के पदों का युक्तिकरण कर रहा है, न कि उन्हें समाप्त कर रहा है। आवश्यकता पड़ने पर इन पदों पर दोबारा भर्ती की जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बोर्ड विद्युत वितरण कंपनी के रूप में कार्य कर रहा है, जबकि जेनरेशन विंग में अभी भी 2161 पद कार्यरत हैं। इनमें जेई, एसडीओ, एक्सईएन, एसई और चीफ इंजीनियर के पद शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि सिविल एसडीओ, जेई (सिविल), एसडीओ (इलेक्ट्रिक), जेई (इलेक्ट्रिक), एक्सन (इलेक्ट्रिक) और एसई (इलेक्ट्रिक) सहित कुछ पदों का समायोजन किया गया है। इसके अलावा मिस्त्री, डीजी ऑपरेटर, वेल्डर, टेलीफोन अटेंडेंट, गेज रीडर, कुक और फैरो प्रिंटर जैसे पदों की अब आवश्यकता नहीं रह गई है। इनकी जगह टी-मैट के पद भरे जाएंगे, जिससे बोर्ड को अधिक कुशलतापूर्वक कार्य करने में मदद मिलेगी।
बोर्ड ने कर्मचारियों और पेंशनरों को जारी किए 134 करोड़ रुपए
प्रवक्ता ने कहा कि कर्मचारी और अधिकारी बोर्ड की रीढ़ हैं, जो अपनी बहुमूल्य सेवाएं दे रहे हैं। उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए ही बोर्ड ने पिछले दो महीनों में डीए और संशोधित वेतनमान के एरियर के रूप में 134 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यह राशि पिछले कई वर्षों में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में जारी की गई है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि आवश्यक सुधार नहीं किए गए तो बोर्ड की वित्तीय स्थिति गंभीर हो सकती है और भविष्य में एरियर देने में भी असमर्थता हो सकती है।
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